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सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

छी बिसरि गाम क बैसल प्रियतम


सुनू यौ रसिया,
यौ मनबसिया ,
अछि नव - नव यौवन तडपि रहल,
छी बिसरि गाम क बैसल प्रियतम ,
नयना दहो-बहो अछि नोड़ बहल.|

सबहक कोनटा चहकिरहल अछि,
मोन जरलाहा बाट तकए अछि,
पाथर सन हिर्दय छी क लेने,
कलपति आत्म सिसकि रहल अछि ||

सदि खन नेना रहए य पूछथि,
मै गै ! बाबू जी नाई गाम अबाइ छथि,
कहै छी ! फुसियो देखा तरेगन,
बौआ ! तोरे लेल लाब ओ गलथि ||

ऋतु वसंत अछि लअग आबि गेल,
फेर मोन अछि आस बन्हल,
नव - नव यौवन तरैपि रहल अछि,
नैना दहो- बहो अछि नोड़ बहल ,
नैना दहो- बहो अछि नोड़ बहल.||


- मनीष झा
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II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

माछक महत्व


हरि हरि ! जनम कि‌ऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पल‌इ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कब‌इ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खा‌एब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



पग पग पोखैर पान मखान , सरस बोल मुस्की मुस्कान, बिद्या बैभव शांति प्रतिक, ललित नगर दरभंगा थिक l

कर भला तो हो भला अंत भले का भला

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