सुनू यौ रसिया,
यौ मनबसिया ,
अछि नव - नव यौवन तडपि रहल,
छी बिसरि गाम क बैसल प्रियतम ,
नयना दहो-बहो अछि नोड़ बहल.|
सबहक कोनटा चहकिरहल अछि,
मोन जरलाहा बाट तकए अछि,
पाथर सन हिर्दय छी क लेने,
कलपति आत्म सिसकि रहल अछि ||
सदि खन नेना रहए य पूछथि,
मै गै ! बाबू जी नाई गाम अबाइ छथि,
कहै छी ! फुसियो देखा तरेगन,
बौआ ! तोरे लेल लाब ओ गलथि ||
ऋतु वसंत अछि लअग आबि गेल,
फेर मोन अछि आस बन्हल,
नव - नव यौवन तरैपि रहल अछि,
नैना दहो- बहो अछि नोड़ बहल ,
नैना दहो- बहो अछि नोड़ बहल.||
- मनीष झा
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माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हम
अहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........
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एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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