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शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

 द्वादश ज्योतिर्लिंग कथा:-

॥ शिव पुराण सँ उद्धृत ॥

द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति :-
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्‌।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्‌ ॥1॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्‌।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥
॥ इति द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति संपूर्णम्‌ ॥

() श्री सोमनाथ:- 









गुजरात प्रान्तक काठियावाड़ मे समुद्रक तट पर अवस्थित एहि ज्योतिर्लिंगक कथा शिव पुराण मे एहि तरहे सँ वर्णित अछि :-
दक्ष प्रजापति केर ‘कन्या छलनि । हुनका सभक विवाह चन्द्रमाक संग कयने छलथिन्ह । परन्तु चन्द्रमा मात्र रोहिणीक अलावा किनको सँ अनुराग व सम्मान नहि करथिन्ह । एहि सँ क्रोधित भऽ प्रजापति दक्ष चन्द्रमा कें क्षय होयबाक शाप दए देलथिन्ह । एहि सँ चन्द्रमाक कान्ति तत्काल क्षीण भऽ गेलनि । ओ अपन श्राप सँ विमुक्‍ति हेबाक लेल ऋषि आओर देवता के संग कए ब्रह्मा जीक ओहिठाम गेला । ब्रह्माजी शाप विमोचन के लेल प्रभास क्षेत्र मे जाए कऽ भगवान शिवक आराधना करबा लेल कहलथिन्ह । ओ कठिन तपस्या करैत १० करोड़ मृत्युंजय मंत्रक सेहो जाप कएलनि । एहि पर भगवान शिव प्रसन्‍न भऽ अमर रहबाक वरदान दए शाप सँ मुक्‍ति होयबाक विषय मे कहलथिन :- जे अहाँ कृष्ण पक्ष मे एक-एक अंश क्षीण होइत जाएत और शुक्ल पक्ष मे ओहि तरहें एक-एक अंश बढ़ैत पुर्णिमा कऽ पूर्ण रूप प्राप्त होएत । आओर प्रजापति दक्षक वचनक रक्षा सेहो भए जेतनि । शाप सँ मुक्‍ति भेलाक पश्‍चात्‌ चन्द्रमा आओर सब देवता लोकनि भगवान शिव के माता पार्वती कें साथ सभ प्राणीक उद्धारार्थ एतय रहबाक प्रार्थना कएलनि । भगवान शिव प्रार्थना कें स्वीकार कऽ ज्योतिर्लिंग के रूप में माँ पार्वती के साथ ओहि दिन सँ एतय रहय लगलाह ।


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II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

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हरि हरि.



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