(७) श्री विश्वेश्वर :-
भगवान शंकर पार्वती विवाह कऽ कैलाश पर्वत पर निवास करैत छलीह । परन्तु पिताक घर विवाहित जीवन बितेनाई बढ़ियाँ नहि बुझना गेलनि । एक दिन ओ भगवान शिव सँ कहलथिन कि आब अपना घर पर चलू । एहि ठाम रहनाइ हमरा बढ़िया नहि बुझना जाइत अछि । सब लड़की विवाह भेलाक बाद अपना पतिक घर जाइत अछि । परन्तु हमरा पिताक घर रहय पड़ैत अछि । भगवान शिव माता पार्वती कें साथ लऽ अपन पवित्र नगर काशी आबि गेलाह । ओतय ओ विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंगके रूप मे स्थापित भऽ गेलाह । मत्स्यपुराण मे एहि नगरीक महत्व कहल गेल अछी जे ध्यान आओर ज्ञान रहित तथा दुःख सँ पीड़ित
भगवान शंकर पार्वती विवाह कऽ कैलाश पर्वत पर निवास करैत छलीह । परन्तु पिताक घर विवाहित जीवन बितेनाई बढ़ियाँ नहि बुझना गेलनि । एक दिन ओ भगवान शिव सँ कहलथिन कि आब अपना घर पर चलू । एहि ठाम रहनाइ हमरा बढ़िया नहि बुझना जाइत अछि । सब लड़की विवाह भेलाक बाद अपना पतिक घर जाइत अछि । परन्तु हमरा पिताक घर रहय पड़ैत अछि । भगवान शिव माता पार्वती कें साथ लऽ अपन पवित्र नगर काशी आबि गेलाह । ओतय ओ विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंगके रूप मे स्थापित भऽ गेलाह । मत्स्यपुराण मे एहि नगरीक महत्व कहल गेल अछी जे ध्यान आओर ज्ञान रहित तथा दुःख सँ पीड़ित
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