जय मैथिली" जय मिथिला" जय मिथिलांचल" !!!जय श्यामा माई !!!!!सुस्वागतम- सुस्वागतम!!! समस्त पाठकगन के ब्लॉग पर स्वागत अछि |
समस्त मिथिला बंधुगनकें "ललन दरभंगावालाक" प्रणाम...मैथिल छी हम इए हमर पहचान" अपनें समस्त Site Viewers कें हमर एहि ब्लॉग पर बहुत बहुत स्वागत अछि" हम अपने सभक लेल ब्लॉग प्रस्तुत केने छी,तही हेतु इ ब्लॉग पर एक बेर जरुर धयान देब ...और अपन सुझाब ,कोनो तरहक रचना,चुटकुला वा कोनो तरहक समाचार जरुर मेल करब....

जालवृत्तक संगी - साथी |

मंगलवार, 29 मार्च 2011

अनमोल रचना@प्रभात राय भट्ट



अनमोल रचना@प्रभात राय भट्ट

रूप अहाँक लगैय चंदाचकोर अन्हार में करैछी ईजोर,
देख अहाँके मोनमें हमरा उठल हिलोर बड़ा बेजोर,

अहाँक केशक गजरा आईखक कजरा जान मारैय,
नशीली नयनक धार हमरा दिल पर वाण मारैय ,

खन खन खन्कैय कंगना छम छम बजैय पाजू,
 घुंघटा उठा सजनी हमरा संग मुस्की मुस्की बाजू,

अहाँके पबैला मंदिर मस्जिद मगैछी दुवा पढ़ैछि कलमा,
हे यै हमर गोरी गरिमा बनालू हमरा अहाँ अपन बलमा,२

चम् चम् च्म्कैछी रानी अहाँ दुतिया के चाँद सन,
गम गम गम्कैछी सुगिया अहाँ बेलीचमेलि फुल सन,

मृग नयनी अहाँक नयन ठोर लगैय रस भरल मधुशाला,
अंग अंगमें तरंग मोनमें उमंग जेना संगीतक पाठशाला,

प्रेम रस स उमरल रूप अहाँक देख भेली हम दीवाना यए,
देख अहाँ संग हमरा गोरी,जईर जईर मरैय जवाना यए,

डोली कहार लक आएब गोरी हम अहाँक अंगना
अहाँ बनब हमर सजनी हम बनब अहाँक सजना,

अहाँक रूप देखि चाँद चकोर सेहो लजागेल,
अहाँक सुन्दरताके तेज स ईन्द्रपरी सेहो झपागेल,

विधाता के रचल सजनी अहाँ छि अनमोल रचना,
अंग अंग में सजल यए अनुपम अनुराग के गहना,

हे यै हमर मोनक रानी गरिमा चलू हमर अंगना,
अहाँ बनब हमर सजनी हम बनब अहाँक सजना,२

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

0 पाठकक टिप्पणी भेटल - अपने दिय |:

एक टिप्पणी भेजें

II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

माछक महत्व


हरि हरि ! जनम कि‌ऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पल‌इ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कब‌इ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खा‌एब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



पग पग पोखैर पान मखान , सरस बोल मुस्की मुस्कान, बिद्या बैभव शांति प्रतिक, ललित नगर दरभंगा थिक l

कर भला तो हो भला अंत भले का भला

समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हमअहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........

अहांक स्वागत अछि.अहां सभ अपन विचार... सुझाव... कमेंट(मैथिली या हिन्दी मै ) सं हमरा अवगत कराउ.त देर नहि करु मन मे जे अछि ओकरा लिखि कs हमरा darbhangawala@gmail.com,lalan3011@gmail.com पर भेज दिअ-एहि मेल सं अहां अपन विचार... सुझाव... कमेंट सं हमरा अवगत कराउ. सम्पर्क मे बनल रहुं. ..........

एकता विकास के जननी छै

जय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)


अहाँ अपन अमूल्य समय जे हमर ब्लॉग देखै में देलो तही लेल बहुत - बहुत धन्यवाद... !! प्रेम स कहू" जय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल(बिहार),जय श्यामा माई -

अपना भाषा मै लिखू अपन बात

अपनेक सुझाव वा कोनो नव जानकारी निचा मै जरुर लिखू l

HTML Comment Box is loading comments...
Text selection Lock by Hindi Blog Tips

कतेक बेर देखल गेल