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जालवृत्तक संगी - साथी |

मिथिला दर्शन

मिथिला दर्शन :-

हकासल छी पियासल छी ,मिथिला दर्शन के आशल छी!
मदारी छी भिखारी छी ,मिथिला दर्शन लेल पागल छी!!
देखब पावन सीता केर धाम,तहन जायब विद्यापति गाम
चरण रखबा स पहिनहि हम ,माथ माटी में साटब
जतय आयल छला शंकर ,बनय विद्यापति के चाकर
किछु दूर और जायब हम,जायब उच्चैठ देवी हम
जतय कालीदास के देवी ,वरदान दय विलीन भेली
पूजब हुनकर ओही प्रतिमा के ,करब सुमिरन ओही महिमा के
देखब वाचस्पति नगरी के,करब गुणगान पगरी के
जतय के रीति अछि सबदीन "साग खाई बरु जीबन काटब
नई झुक देब पगरी के !!
अतिथि देवो भव हम सबदीन जपिते रहब अई कथनी के"
हकार कोजगरा के पूरब ,पान मखान लए क घुरब
सामा चकेबा चौठी चंदा ,ब्रत करब हम छैठ के
सप्ता बिप्ताक कथा सुनि क ,ध्यान करब गुरुदेब के
जायब राघोपुर एक बेर हम ,करब दर्शन ओहि धरती के
जतय विद्याधर जनम लेला,जिनक कामेश्वर सिंह छला चेला
देखब मिथिला केर पेंटिंग ,जकर गुणगान चाहू दिश
जखन घुरी आबय लगाब हम ,एक टुक माटिक लायब संग
नित उठी माथ स साटब,करब सुमिरण ओहि मिथिला के विसरब ने मिथिला दर्शन के





.गौरी-शंकर स्थान- मधुबनी जिलाक जमथरि गाम हैंठी बाली गामक बीच स्थान गौरी शङ्करक सम्मिलित मूर्त्ति एहि पर मिथिलाक्षरमे लिखल पालवंशीय अभिलेखक कारणसँ विशेष रूपसँ उल्लेखनीय अछि। स्थल एकमात्र पुरातन स्थल अछि जे पूर्ण रूपसँ गामक उत्साही कार्यकर्त्ता लोकनिक सहयोगसँ पूर्ण रूपसँ विकसित अछि। शिवरात्रिमे एहि स्थलक चुहचुही देखबा योग्य रहैत अछि। बिदेश्वरस्थानसँ - किलोमीटर उत्तर दिशामे स्थान अछि।
.भीठ-भगवानपुर अभिलेख- राजा नान्यदेवक पुत्र मल्लदेवसँ संबंधित अभिलेख एतए अछि। मधुबनी जिलाक मधेपुर थानामे स्थल अछि।
.हुलासपट्टी- मधुबनी जिलाक फुलपरास थानाक जागेश्वर स्थान लग हुलासपट्टी गाम अछि। कारी पाथरक विष्णु भगवानक मूर्त्ति एतए अछि।
.पिपराही-लौकहा थानाक पिपराही गाममे विष्णुक मूर्त्तिक चारू हाथ भग्न भए गेल अछि।
.मधुबन- पिपराहीसँ १० किलोमीटर उत्तर नेपालक मधुबन गाममे चतुर्भुज विष्णुक मूर्त्ति अछि।
.अंधरा-ठाढ़ीक स्थानीय वाचस्पति संग्रहालय- गौड़ गामक यक्षिणीक भव्य मूर्त्ति एतए राखल अछि।
.कमलादित्य स्थान- अंधरा ठाढ़ी गामक लगमे कमलादित्य स्थानक विष्णु मंदिर कर्णाट राजा नान्यदेवक मंत्री श्रीधर दास द्वारा स्थापित भेल।
.झंझारपुर अनुमण्डलक रखबारी गाममे वृक्षक नीचाँ राखल विष्णु मूर्त्ति, गांधारशैली मे बनाओल गेल अछि।
.पजेबागढ़ वनही टोल- एतए एकटा बुद्ध मूर्त्ति भेटल छल, मुदा ओकर आब कोनो पता नहि अछि। स्थल सेहो रखबारी गाम लग अछि।
१०.मुसहरनियां डीह- अंधरा ठाढ़ीसँ किलोमीटर पश्चिम पस्टन गाम लग एकटा ऊंच डीह अछि।बुद्धकालीन एकजनियाँ कोठली, बौद्धकालीन मूर्त्ति, पाइ, बर्त्तनक टुकड़ी पजेबाक अवशेष एतए अछि।
११.भगीरथपुर- पण्डौल लग भगीरथपुर गाममे अभिलेख अछि जाहिसँ ओइनवार वंशक अंतिम दुनू शासक रामभद्रदेव लक्ष्मीनाथक प्रशासनक विषयमे सूचना भेटैत अछि।
१२.अकौर- मधुबनीसँ २० किलोमीटर पश्चिम उत्तरमे अकौर गाममे एकटा ऊँच डीह अछि, जतए बौद्धकालक मूर्त्ति अछि।
१३.बलिराजपुर किला- मधुबनी जिलाक बाबूबरही प्रखण्डसँ किलोमीटर पूब बलिराजपुर गाम अछि। एकर दक्षिण दिशामे एकटा पुरान किलाक अवशेष अछि। किला चारि किलोमीटर नमगर एक किलोमीटर चाकर अछि। दस फीटक मोट देबालसँ घेरल अछि।
१४.असुरगढ़ किला- मिथिलाक दोसर किला मधुबनी जिलाक पूब उत्तर सीमा पर तिलयुगा धारक कातमे महादेव मठ लग ५० एकड़मे पसरल अछि।
१५.जयनगर किला- मिथिलाक तेसर किला अछि भारत नेपाल सीमा पर प्राचीन जयपुर वर्त्तमान जयनगर नगर लग। दरभंगा लग पंचोभ गामसँ प्राप्त ताम्र अभिलेख पर जयपुर केर वर्णन अछि।
१६.नन्दनगढ़- बेतियासँ १२ मील पश्चिम-उत्तरमे किला अछि। तीन पंक्त्तिमे १५ टा ऊँच डीह अछि।
१७.लौरिया-नन्दनगढ़- नन्दनगढ़सँ उत्तर स्थित अछि, एतए अशोक स्तंभ बौद्ध स्तूप अछि।
१८.देकुलीगढ़- शिवहर जिलासँ तीन किलोमीटर पूब हाइवे केर कातमे दू टा किलाक अवशेष अछि। चारू दिशि खधाइ अछि।
१९.कटरागढ़- मुजफ्फरपुरमे कटरा गाममे विशाल गढ़ अछि, देकुली गढ़ जेकाँ चारू कात खधाइ खुनल अछि।
२०.नौलागढ़-बेगुसरायसँ २५ किलोमीटर उत्तर ३५० एकड़मे पसरल गढ़ अछि।
२१.जयमंगलगढ़-बेगूसरायमे बरियारपुर थानामे काबर झीलक मध्य एकटा ऊँच डीह अछि। एतए नाओकोठी (मझौल) गाम लग गढ़ अछि।
२१ .मंगलगढ़- समस्तीपुर जिलामे दुधपुरा बजार लग देओढ गाम लग |
२२.अलौलीगढ़-खगड़ियासँ १५ किलोमीटर उत्तर अलौली गाम लग १०० एकड़मे पसरल गढ़ अछि।
२३.कीचकगढ़-पूर्णिया जिलामे डेंगरघाटसँ १० किलोमीटर उत्तर महानन्दा नदीक पूबमे गढ़ अछि।
२४.बेनूगढ़-टेढ़गाछ थानामे कवल धारक कातमे गढ़ अछि।
२५.वरिजनगढ़-बहादुरगंजसँ छह किलोमीटर दक्षिणमे लोनसवरी धारक कातमे गढ़ अछि।
२६.गौतम तीर्थ- कमतौल स्टेशनसँ किलोमीटर पश्चिम ब्रह्मपुर गाम लग एकटा गौतम कुण्ड पुष्करिणी अछि।
२७.हलावर्त्त- जनकपुरसँ ३५ किलोमीटर दक्षिण पश्चिममे सीतामढ़ी नगरमे हलवेश्वर शिव मन्दिर जानकी मन्दिर अछि। एतएसँ डेढ़ किलोमीटर पर पुण्डरीक क्षेत्रमे सीताकुण्ड अछि। हलावर्त्तमे जनक द्वार हर चलएबा काल सीता भेटलि छलीह। राम नवमी (चैत्र शुक्ल नवमी) जानकी नवमी (वैशाख शुक्ल नवमी) पर एतए मेला लगैत अछि।
२८.फुलहर-मधुबनी जिलाक हरलाखी थानामे फुलहर गाममे जनकक पुष्पवाटिका छल जतए सीता फूल लोढ़ैत छलीह।
२९.जनकपुर-बृहद् विष्णुपुराणमे मिथिलामाहात्म्यमे जनकपुर क्षेत्रक वर्णन अछि। सत्रहम शताब्दीमे संत सूर किशोरकेँ अयोध्यामे सरयू धारमे राम जानकीक दू टा भव्य मूर्त्ति भेटलन्हि, जकरा जानकी मन्दिर, जनकपुरमे स्थापित कए देलन्हि। वर्त्तमान मन्दिरक स्थापना टीकमगढ़क महारानी द्वारा १९११ . मे भेल। नगरक चारूकात यमुनी, गेरुखा दुग्धवती धार अछि। राम नवमी (चैत्र शुक्ल नवमी),जानकी नवमी (वैशाख शुक्ल नवमी) विवाह पंचमी (अगहन शुक्ल पंचमी) पर एतए मेला लगैत अछि।
३०.धनुषा- जनकपुरसँ १५ किलोमीटर उत्तर धनुषा स्थानमे पीपरक गाछक नीचाँ एकटा धनुषाकार खण्ड पड़ल अछि। रामक तोड़ल धनुष अछि। एहिसँ पूब वाणगंगा धार बहैत अछि जे लक्ष्मण द्वारा वाणसँ उद्घाटित भेल छल।
३१.सुग्गा-जनकपुर लग जलेश्वर शिवधामक समीप सुग्गा ग्राममे शुकदेवजीक आश्रम अछि। शुकदेवजी जनकसँ शिक्षा लेबाक हेतु मिथिला आएल छलाह- एहि ठाम हुनकर ठहरेबाक व्यवस्था भेल छल।
३२.सिंहेश्वर- मधेपुरासँ किलोमीटरपर गौरीपुर गाम लग सिंहेश्वर शिवधाम अछि।
३३.कपिलेश्वर-कपिल मुनि द्वार स्थापित महादेव मधुबनीसँ किलोमीटर पश्चिममे अछि।
३४.कुशेश्वर- समस्तीपुरसँ उत्तर-पूब, लहेरियासरायसँ 60 किलोमीटर दक्षिण-पूब सहरसासँ २५ किलोमीटर पश्चिम एकटा प्रसिद्ध शिवस्थान अछि। एतए चिड़ै-अभ्यारण्य सेहो अछि जतए उज्जर कारी गैबर, लालसर, दिघौछ, मैल, नकटा, गैरी, गगन, सिल्ली, अधानी, हरिअल, चाहा, करन, रतबा चिड़ै सभ अनायासहि नवम्बरसँ मार्च धरि देखबामे आएत
३५.सिमरदह-थलवारा स्टेशन लग शिवसिंह द्वारा बसाओल शिवसिंहपुर गाम लग शिवमन्दिर अछि।
३६.सोमनाथ- मधुबनी जिलाक सौराठ गाममे सभागाछी लग सोमदेव महादेव छथि।
३७.मदनेश्वर- मधुबनी जिलाक अंधरा ठाढ़ीसँ किलोमीटर पूब मदनेश्वर शिव स्थान अछि।
३८.कुन्दग्राम:हाजीपुरसँ बत्तीस किलोमीटर उत्तर-पूर्वमे बसाध-वैशाली लगमे वासोकुण्ड लग गाम गढ़-टीलासँ कि.मी. उत्तर-पूर्व अछि कुन्दग्राम , जतए जैनक २४म तीर्थंकर महावीरक जन्म भेल छलन्हि। एतए बुद्धक छाउर, अभिषेक पुषकरणी (राजा अभिषेकसँ पूर्व एतए नहाइत रहथि), अशोक स्तम्भ संसद-भवन (राजा विशालक गढ़) अछि।
३९.चण्डेश्वर- झंझारपुरमे हरड़ी गाम लग चण्डेश्वर ठाकुर द्वारा स्थापित चण्डेश्वर शिवस्थान अछि।
४०.बिदेश्वर-मधुबनी जिलामे लोहनारोड स्टेशन लग स्थित शिवधामक स्थापना महाराज माधवसिंह कएलन्हि। ताहि युगक मिथिलाक्षरक अभिलेख सेहो एतए अछि।
४१.शिलानाथ- जयनगर लग कमला धारक कातमे शिलानाथ महादेव छथि।
४२.उग्रनाथ-मधुबनीसँ दक्षिण पण्डौल स्टेशन लग भवानीपुर गाममे उगना महादेवक शिवलिंग अछि। विद्यापतिकेँ प्यास लगलन्हि तँ उगनारूपी महादेव जटासँ गंगाजल निकालि जल पिएलखिन्ह। विद्यापतिक हठ कएला पर एहि स्थान पर उगना हुनका अपन असल शिवरूपक दर्शन देलखिन्ह।
४३.उच्चैठ छिन्नमस्तिका भगवती- कमतौल स्टेशनसँ १६ किलोमीटर पूर्वोत्तर उच्चैठमे कालिदास भगवतीक पूजा करैत छलाह। भगवतीक मौलिक मूर्त्ति मस्तक विहीन अछि।
४४.उग्रतारा- मण्डन मिश्रक जन्मभूमि महिषीमे मण्डनक गोसाउनि उग्रतारा छथि।
४५.भद्रकालिका- मधुबनी जिलाक कोइलख गाममे भद्रकालिका मंदिर अछि।
४६.चामुण्डा- मुजफ्फरपुर जिलामे कटरागढ़ लग लक्ष्मणा वा लखनदेइ धार लग दुर्गा द्वारा चण्ड-मुण्डक वध कएल गेल। ओहि स्थान पर मन्दिर अछि।
४७.परसा सूर्य मन्दिर- झंझारपुरमे सग्रामसँ पाँच किलोमीटर पूर्व परसा गाममे साढ़े चारि फीटक भव्य सूर्य मूर्त्ति भेटल अछि।
४८.बिसफी- मधुबनी जिलाक बेनीपट्टी थानामे कमतौल रेलवे स्टेशनसँ किलोमीटर पूब कपिलेश्वर स्थानसँ किलोमीटर पश्चिम बिसफी गाम अछि। विद्यापतिक जन्म-स्थान गाम अछि। एतए विद्यापतिक स्मारक सेहो अछि।
४९.मंदार पर्वत-बांका स्थित स्थलमे मिथिलाक्षरक गुप्तवंशीय ७म् शताब्दीक अभिलेख अछि। समुद्र मंथनक हेतु मंदारक प्रयोग भेल छल। निकटमे बौंसीमे जैनक बारहम तीर्थंकर वासुपूज्य नाथक दूटा मूर्त्ति अछि, पैघ मूर्ति लाल पाथरक अछि तँ दोसर काँसाक जकर सोझाँ दूटा पदचिन्ह अछि। जैनक बारहम तीर्थंकर वासुपूज्य नाथक जन्म चम्पानगरमे निर्वाण एतहि भेल छलन्हि।
५०.विक्रमशिला-भागलपुरमे स्थित प्राचीन विश्वविद्यालय। भागलपुर जिलाक अंतीचक गाममे राजा धर्मपालक बनाओल बुद्ध विश्वविद्यालय अछि। १०८ व्याख्याता लेल रहबाक स्थान बाहरसँ पढ़ए बला लेल सेहो स्थान एतए निर्मित अछि
५१. मिथिलाक बीस टा सिद्ध पीठ- .गिरिजास्थान(फुलहर,मधुबनी),.दुर्गास्थान(उचैठ, मधुबनी),.रहेश्वरी(दोखर,मधुबनी),.भुवनेश्वरीस्थान(भगवतीपुर,मधुबनी),.भद्रकालिका(कोइलख, मधुबनी),.चमुण्डा स्थान(पचाही,मधुबनी),.सोनामाइ(जनकपुर,नेपाल),.योगनिद्रा(जनकपुर,नेपाल).कालिका स्थान(जनकपुर स्थान),१०.राजेश्वरी देवी(जनकपुर,नेपाल),११.छिनमस्ता देवी(उजान,मधुबनी),१२.बनदुर्गा(खररख, मधुबनी),१३.सिधेश्वरी देवी(सरिसव, मधुबनी),१४.देवी-स्थान(अंधरा ठाढ़ी,मधुबनी),१५.कंकाली देवी(भारत नेपाल सीमा रामबाग प्लेस,दरभंगा)१६.उग्रतारा (महिषी,सहरसा),१७.कात्यानी देवी(बदलाघाट, सहरसा),१८.पुरन देवी(पूर्णियाँ),१९.काली स्थान(दरभंगा),२०.जैमंगलास्थान(मुंगेर)
५२. जनकपुर परिक्रमाक १५ स्थल ओतुक्का मुख्य देवता . हनुमाननगर- हनुमानजी .कल्याणेश्वर- शिवलिंग .गिरिजा-स्थान- शक्ति .मटिहानी- विष्णु मन्दिर .जालेश्वर- शिवलिंग .मनाई- माण्डव ऋषि . श्रुव कुण्ड- ध्रुव मन्दिर .कंचन वन- कोनो मन्दिर नञि मात्र मनोरम दृश्य .पर्वत- पाँच टा पर्वत १०.धनुषा- शिवधनुषक टुकड़ी ११.सतोखड़ी- सप्तर्षिक सात टा कुण्ड १२.हरुषाहा- विमलागंगा १३. करुणा- कोनो मन्दिर नहि मात्र मनोरम दृश्य १४. बिसौल- विश्वामित्र मन्दिर १५.जनकपुर।मिथिलायदयश्च मध्यंते रिपवो इति मिथिला नगरी” - मिथिला जतए शत्रुकेँ मथल जाइत अछि- पाणिनीक विवरण

५३. चैनपुर सहरसा- मिथिलाक एकमात्र नीलकंठ मन्दिर, संगमे आदिकालीन भव्य काली-मन्दिर सेहो एहि गाममे अछि। महाशिवरात्रि कालीपूजा बड़ धूमधामसँ चैनपुरमे होइत अछि।
५४.धरहरा, बनमनखी, पूर्णियाँमे नरसिंह अवतारक स्थान अछि, एकटा खोह जेकाँ पैघ पाया अछि जाहिमे जे किछु फेकबैक तँ बड़ी काल धरि गों-गोँ अबाज होइत रहत। स्थान आब नरसिंह भगवानक मूर्ति मन्दिरक कारणसँ बेश विकसित भए गेल अछि।

५५.नेऊरी: दरभंगाक बिरौल प्रखण्डसँ १३.किलोमीटर पश्चिममे एकटा गढ़ अछि जे लोरिकक मानल जाइत अछि।
५६.दरभंगा कैथोलिक चर्च: १८९१मे स्थापित चर्च १८९७ केर भूकम्पमे क्षतिग्रस्त भए गेल। एकरा होली रोजेरी चर्च सेहो कहल जाइत अछि।
५७.सेंट फांसिस ऑसिसी चर्च मुजफ्फरपुरमे अछि।
५८.भिखा सलामी मजार: गंगासागर पोखरि दरभंगाक महारपर मजार अछि।
५९.दरभंगा टावर मस्जिद इस्लाम मतावलम्बीक एकटा भव्य मस्जिद धार्मिक स्थल अछि।
६०. मकदूम बाबाक मजार:ललित नारायण मिथिला विश्ववविद्यालय कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगाक बीच स्थित मजार हिन्दू मुस्लिम मतावलम्बीक एकटा पावन स्थान अछि।
६१।चम्पानगर:भागलपुरक पश्चिममे, आब नगरसँ सटि गेल अछि। जैन लोकनिक एकटा पवित्रस्थल अछि, एतए महावीर तीनटा बस्सावास कएने रहथि। दू टा जैन मन्दिर एतए अछि, जे जैनक बारहम तीर्थंकर वासुपूज्य नाथकेँ समर्पित अछि।





६२ . दरभंगा स्टेशन से २५ किलो मीटर पूरब मनिगाछी स्टेशन से किलो मीटर दक्षिण मकरंदा... - भंदारसम गाम में अवस्थित "माँ वनेश्वरी " स्थान अछि शक्तिपीठ के नाम जानल जायत अछि |
६३.बसैटी अभिलेख- पूणियाँमे श्रीनगर लग मिथिलाक्षरक अभिलेख मिथिलाक पहिल महिला शासक रानी इद्रावतीक राज्यकालक वर्णन करैत अछि। एकर आधार पर मदनेश्वर मिश्रएक छलीह महारानीउपन्यास सेहो लिखने छथि।
बाइसी-बसैटी, अररिया ताम्रपत्र अभिलेख- रानी इन्द्रावती (१७८४-१८०२) जे फूड-फॉर-वर्क अन्य कल्याणकारी कार्यक प्रारम्भ कएलन्हि केर मिथिलाक्षर अभिलेख एतए एकटा मन्दिरक ऊपरमे कारी पाथरमे कीलित अछि जे निम्न प्रकारसँ अछि:-
बसैटी (अररिया) बिहार, शिव मन्दिरक मिथिलाक्षर शिलालेखक देवनागरी रूपान्तरण।

वंशे सभा समाने सुरगन बिदिते भू सूरस्यावतिर्ना।
राजाभूतकृष्णदेवोनृपति समरसिंहा मिधस्यात्मजातः॥
यस्मिन् राज्याभिषेकं फलयितु मिवतद्भक्तितुष्टोमहेशः।
कैलाशाद् भूगतेद्योप्यधिन सतितरा वैद्यनाथेन नाम्नाः॥
तस्य तनुजः सुकृतिनृपवरौ विश्वनाथ राजा भूत।
विरनारायण राजस्तस्याप्यासीद् सुतस्य॥
नरनारायण राजो नरपति कुल मौलि भूषणम् पुनः।
अर्थिनकल्पद्रूमदूव सुरगन वंसावतंसोत्भूत॥२॥
तस्मादि वैरिकुल सूदन रामचन्द्र नारायणो नरपतिस्तनयो वभूक।
संमोदिता दश दिशो निज कीर्ति चन्द्र ज्योतिस्नेहाभिरार्थ निवहः सुरिवतश्चयेण॥३।।
यद्दानवारि परिवर्द्धित वारि राशि सक्तान्त कीर्ति विमलेन्दु मरिचिकाभिः।
प्रोद्योतिता दशदिशः सतनुज इन्द्रनारायणोस्य कुलभूषण राजराजः॥४॥
तेनच सत्कुल जाता तनया मनबोध शझणिः कृतिनः।
परिणीता बन्धु यत्नैस्त्रिलोचननाद्रि पुत्रीव॥५॥
यस्या प्रतापतरणावुदितेऽपिचिते
चिन्तारजविन्द वनमालभते विकासम
सौहृदय हृदय मकरन्द उद्येन
तत्रैव यद् गुणगणा मधुपन्ति योगात्॥६॥
यज्ञेवर्देव गणो द्विजाति निवहः सस्तायनत्यादरैः।
दर्दानैपूर्णः मनोरथोऽर्थपरन सन्तितिनिः सज्जना॥७॥
गर्ज्जद वैरि मदान्धवारण चपश्चञ्चःपेतापांकुरौ।
र्वस्याः सर्वदृशेकृतागुण चमेर्मस्याश्च भूमीतने॥८॥
श्री श्री इन्दुमति सतीमतिमती देवी महाराज्ञिका
जाता मैथिल माण्डराऽमिछकुलात् मोधोसरी जानयाः।
दानै कल्पलता मधः कृतवती श्री विष्णु सेवा परा
पातिव्रत्य परायणाच सततं गंगेर सम्पारणी॥९॥
शाकेन्दु नवचन्द्र शैलधरणी संलक्षित फाल्गुने
मासि श्रेष्ठतरे सिताहनि शितेपक्षे द्वितीयायां तिथौ।
भूदेवैर्वर वैदिकेर्म्मठमयं निर्भारय सच्चिनिमिः
तत्रे सेन्दुमति सुरस्य विधित्र प्राण प्रतिष्ठाव्यधात्॥१०॥
सोदरपुर सम्भव राजानुकम्पापजिवनिकृतिनः।
श्री शुभनायस्य कृतिर्मिदं विज्ञेक्षं सन्रन्तताम्॥११॥



उच्चैठ भगवती पर्यटक एवं धार्मिक स्थल :----


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प्राचीन मध्य मिथिलाक धरोहर पर्यटक एवं धार्मिक स्थल माँ भगवती अंकुरीय दुर्गास्थान मधुबनी जिलाकें बेनीपट्टी अनुमण्डल सँ ४ किलोमीटर पश्चिम दिशामे अवस्थित अछि । ई स्थान बहुत प्राचीन भगवतीक सिद्धपीठ नामसँ जानल जा‌ईत अछि । एहि मन्दिर मे छिन्न मस्तिका माँ दुर्गा स्वयं प्रादुर्भावित छथि । एहि स्थान पर जे कोनो साधक जेहि मनोकामना पुर्तिके लेल जा‌इत छथि वो खाली हाथ वापस नहि अबैत छथि ।
एहि संबंध मे एकटा प्राचीन कथा अछि- माँ भगवतीक मन्दिरसँ पुरव दिशामे एक संस्कृत पाठशाला छल, मन्दिर तथा पाठशालाकेँ बीचमे एक नदी बहैत छल । कालिदास महामूर्ख छलाह एवं हुनक पत्नी विद्योत्तमा परम विदुषी छलीह । एक समय कालिदास पत्नीसँ तिरस्कृत भऽ माँ भगवतीकें शरणमे उच्चैठ आबि गेलाह आ ओतय स्थित आवासीय संस्कृत पाठशाला मे भनसियाक कार्य करय लगलाह । किछु समय बितलाक बाद वर्षा ऋतुक आगमन भेल । एक दिन एहन वर्षा भेल जे नदीमे बाढ़ि आबि गेल । ओहिमे जलक धारा बहुत तेज गति सँ चलय लागल । दिनराति वर्षा हो‌इते छल आ संध्यासमय सेहो भऽ रहल छल । मन्दिरकें साफ सफा‌ई सँ पूजा, पाठ, धूप, दीप, आरतीक सब व्यवस्था पाठशालाक छात्र द्वारा हो‌ईत छलनि । वर्षाक विपरीत समय एवं नदीमे पानीक तेज धार देखि विद्यार्थी सभ भगवती मन्दिरमे साँझ देखाबय मे अपना सभके असमर्थ देखि मूर्ख कालिदास के साँझ देखाबयके लेल तैयार कयलनि और हुनका सभ विद्यार्थी कहलखिन जे यदि अहाँ मन्दिरमे जायब तँ कोनो चिन्ह दय देबाक अछि। पंचतन्त्रक सूक्ति अछि “मूर्खस्य हृदयं शून्यं सर्वशून्यं दरिद्रता" ई सूक्ति कालिदास के सामने चरितार्थ छलनि । कालिदास बिना किछु सोचने नदिमे कुदि पड़लाह । हेलैत-डुबैत कोनो तरहें ओ नदी पार भय गेलाह । मन्दिरमे दीप जरेलाक सोचय लगलाह जे हम मन्दिर मे चिन्ह देवाक लेल तँ किछु नहि अनलहुँ, किंकर्तव्यविमूढ़ भऽ सोचय लगलाह । किछु समय सोचलाक बाद मन्दिरके दिवाल पर दीप जरवला सँ जे स्याहि लागल छलैक ओहिपर हुनक ध्यान आकृष्ट भेलनि । सोचलनि जे समस्याक समाधान आब भऽ गेल । ओ अपन दहिना हाथ कें स्याहि पर रगरिकय चिन्ह देबाक लेल स्थान खोजय लगलाह । मन्दिर के दिवाल पर यत्र-तत्र स्याहिके दाग लागल देखि मनमे विचार कयलनि जे देबाल पर चिन्ह देला सँ बढ़ियां भगवती कें मुखमण्डल पर चिन्ह देना‌ई होयत, कारण ओहिमे कोनो पूर्वक दाग नहि छैक । ई सोचि अपन दाहिना हाथ भगवतीक मुखमण्डल सामने बढ़ेलनि । की तखनहि माँ भगवति साक्षात् प्रकट भऽ मूर्ख कालिदास के हाथ पकड़ि कहलखिन्ह, रे महामूर्ख ! तोरा चिन्ह लगयबाक स्थान मन्दिरके अन्दर नहि भेटलौ । हम तोरा सँ खुशी छी जे एहि आपत काल मे तों नदीपार भऽ दीप जरावय एलाह । माँ भगवतिक वचन सुनि मूर्खताक कारण पत्नी विद्योत्तमा सँ तिरस्कृत होबाक कारणें कालिदास विद्यादानक याचना कयलनि । माँ तथास्तु कहि कहलथिन्ह, आ‌ई रात्रि भरिमे जतेक किताब के तों स्पर्श कय लेबह सब कण्ठस्थ भऽ जेतह । एहि तरहक वरदान दय माँ भगवति अन्तर्ध्यान भय गेलीह । कालिदास सेहो कोनो तरहें नदी पार भय पाठशाला पर अयलाह । आब कालीदास विद्यार्थी लोकनिक खाना बनाय भोजन कराकऽ रात्रिभरि विद्यार्थीकें नीच वर्गसँ उच्च वर्गक पुस्तक के स्पर्श कयलनि । मां के कृपा सँ भारत वर्ष मे कविताके लेल अद्वितीय विद्वान भेलाह । ओ अनेकों काव्यक रचना केलनि यथा:- कुमार संभव, रघुवंश, मेघदूत इत्यादि । वर्तमान समय मन्दिर के प्रांगण मे एक मण्डप बना‌ओल गेल अछि, एहि मण्डप मे कालिदासक जीवन सम्बन्धी सब तरहक चित्र चित्रांकित अछि । मन्दिर के उत्तर दिशामे एक विशाल तालाब अछि । एहि मन्दिर पर सुबह शाम आस-पासक गाँव सँ हजारों के संख्या मे लोक पूजा-पाठ आरती करय अबैत छथि । एहिस्थान पर प्रतिदिन भजन, अष्टजाप, कीर्तन हो‌इत रहैत अछि ।

विशेष उत्सव आश्विन नवरात्रामे एहि स्थान पर विशेष उत्सव मना‌ओल जा‌ईत अछि । एहि समय मे चारुकात सँ १५ कोस धरि के आदमी एहि पर्व मे सम्मिलित हो‌इत छथि । नवरात्राके अष्टमी-नवमी तिथिकें बलि प्रदान हजारों संख्या मे कयल जा‌ईत अछि ।
एहि स्थान के विकास के लेल बिहार सरकार समय-समय पर रुपयाक योगदान करैत रहैत छथि ।


आवागमनक सुविधा : बस द्वारा
१. पश्चिम दिशा सँ :- सीतामढ़ी-पुघरी भाया बेनी पट्टी उच्चैठ ।
२. दक्षिण दिशासँ :- दरभंगा भाया रहिका, बेनीपट्टी, उच्चैठ ।
३. पुरव दिशासँ :- लौकही, राजनगर, मधुबनी, बेनीपट्टी, उच्चैठ ।
४. उत्तर दिशासँ नेपाल तरा‌ई सँ जयनगर, रहिका, बेनीपट्टी, उच्चैठ ।
५. उत्तर पश्चिम दिशासँ मघवापुर, साहरघाट उमगाँव, बेनीपट्टी, उच्चैठ।








II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

माछक महत्व


हरि हरि ! जनम कि‌ऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पल‌इ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कब‌इ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खा‌एब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



पग पग पोखैर पान मखान , सरस बोल मुस्की मुस्कान, बिद्या बैभव शांति प्रतिक, ललित नगर दरभंगा थिक l

कर भला तो हो भला अंत भले का भला

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