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दरभंगाक इतिहास

दरभंगाक इतिहास :-


जहां कला संस्कृति प्रेम और ज्ञान के बहे गंगा उ जगह  थिक दरभंगा |




Picture
 





दरभंगा राज राज दरभंगाक रूप मे सेहो जानल जाइत अछि। 




एकर इतिहास सोलहम शताब्दी मे शुरू होइत अछि आ एकर 






पहिल राजा महेश ठाकुर छलाह । दरभंगा राजक क्षेत्रफल लगभग 




२४१० वर्ग कि०मी० छल आ एहि मे ४,४९५ टा गाम १८ गोट 


 सरकिल मे छल, जे बिहार सँ लऽ कऽ बंगाल धरि पसरल छल । 
ई भारतक सब सँ पैघ जमींदारी छल आ एकर व्यवस्था सेहो नीक सँ कयल गेलछल ।


दरभंगाक राज परिवारक इतिहास 



तुगलक राजवंशक पतनक बाद उत्तरी बिहार मे अराजकता पसरि गेल । तुगलक उत्तरी बिहार पर आक्रमण कयलक आ संपूर्ण उत्तरी बिहार के अपना नियंत्रण मे कऽ लेने छल । तथापि तुगलक वंशक पतन आ मुगल साम्राज्यक स्थापनाक बीच समग्र बिहार मे अराजकता आ अशांति पसरल रहल । बादशाह अकबर इ अनुभव केलनि जे मिथिला सँ कर तखने वसूलल जा सकैत अछि जहन ओतक राजा ब्राह्मण हो आ ओ ओतय शांतिक स्थापना करथि । ब्राह्मण राजाक विषय मे निर्णय लेबाक इहो कारण छल जे एहिठाम ब्राह्मणक प्रमुखता छल आ पहिनो ब्राह्मण राजा रहि चुकल छलाह ।

सम्राट अकबर राजपंडित चन्द्रपति ठाकुर के गढ़ मंगला (आब मध्य प्रदेश) सँ बजेलनि आ हुनका अपन एकटा बेटाक नाम पुछ्लनि जे मिथिलाक केयरटेकर भऽ सकैत छथि । चन्द्रपति ठाकुर अपन माझिल बेटा पं. महेश ठाकुरक नाम लेलनि आ अकबर पं. महेश ठाकुर के मिथिलाक राजा घोषित केलनि । इ घटना राम नवमी १५७७ ई. मे भेल आ एकरा गढ़मंगलाक कोनो कवि एना उल्लेख कयने छथि :- "अति पवित्र मंगल करन, रामजनम के दिन । अकबर हर्षित महेषको तिरहुत राजा कौन? "नवग्रह वेद वशुंधरा, शकमे अकबर शाह, पंडित सुबोध महेशको, किन्हो मिथिला राज ।" महेश ठाकुरक परिवार/उत्तराधिकारी अपन परिवारक प्रभुत्व के समाज, कृषि आ राजनीति मे समेकित केलनि । हुनक परिवार खन्डवला परिवार (सब सँ धनिक जमींदार) के रूप मे ख्याति पौलक । दरभंगा राज दरभंगाक शक्तिक केन्द्र १७६२ मे बनल । एहि सँ पहिने एकर केन्द्र राजनगर (मधुबनी जिला) मे छल । राज दरभंगाक कतेको राजमहल जेना कि रामबाग राजमहल, लक्ष्मीश्वर विलास राजमहल, नरगौना राजमहल आ बेला राजमहल दरभंगा मे अछि । एकर अलावा राजनगर मे सेहो हिनक राजमहल छल । राज दरभंगाक प्राय: सभ शहर मे संपत्ति छल जेना कि दिल्ली, कोलकाता, शिमला, मसूरी, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, राँची आदि । महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह आ महाराज रमेश्वर सिंहक अधीन राज दरभंगा भारत मे एकटा आदर्श जमींदारी छल । अकाल राहत, सड़क निर्माण, नहर आ पूलक निर्माण आदि सँ संबंधित बहूत रास काज एहि समय मे भेल । बंगालक पैघ अकालक समय मे महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह ३,००,००० टाकाक योगदान देलनि । आजादीक बाद भारत सरकार अनेको भूमि सुधार कयलक आ जमींदारी समाप्त भऽ गेल । जमींदारी खत्म भेलाक बाद दरभंगा राजक भाग्यक सितारा डूबि गेल । दरभंगा राजक अंतिम महाराज बहादुर सर कामेश्वर सिंह बिनु उत्तराधिकारीक मरि गेलाह । परिवारक बाकी सदस्य उत्तराधिकारक विवाद मे संलग्न भऽ गेलाह आ आमजनक बीच हुनक मान्यता नहि रहि गेल ।

राजकीय स्थिति पर विवाद

जेना कि उपर मे उल्लेख भेल अछि राज दरभंगाक उत्पत्ति सम्राट अकबर द्वारा पं. महेश ठाकुर के तिरहुतक सरकार देबा सँ शुरू होइत अछि । राज दरभंगा एकटा साम्राज्य छल एहि सिद्धांत के मानयवलाक कहब छनि जे प्रिवी काउन्सिल ई मानलक जे एहिठामक राजा वंशानुगत होइत छलाह । संगहि अठारहम शताब्दीक अंत तक तिरहुत सरकार स्वतंत्र राज्य भऽ गेल छल, जा धरि कि अंग्रेज बिहार आ बंगाल के जीत नहि लेलक । एकर विपरीत किछु गोटाक इहो कहब छनि जे राज दरभंगा कहियो साम्राज्य नहि छल वरन्‌ इ एकटा जमींदारी छल । राज दरभंगाक शासक भारत मे सब सँ पैघ भूमिक मालिक रहबाक कारणें राजा आ बाद मे महाराजा आ महाराजाधिराज कहेलाह । तथापि हुनका लोकनि के कहियो शासन करयवला राजकुमार नहि मानल गेल । बिहार आ बंगाल जीतलाक बाद ब्रिटिश राज स्थायी बंदोवस्त लागू कयलक आ ताहि मे दरभंगाक राजा के जमींदार मानल गेल।

राज दरभंगाक चिह्‌न

राज दरभंगा अनेक चिह्‌नक प्रयोग केलनि । एहि मे सँ एकटा छल जाल मे माछ, दोसर छल षष्टकोणीय चक्र मे माछ आ तेसर छल उपर दिल मुड़ल माछ ।



राज दरभंगाक राजाक सूची

राजा महेश ठाकुर राजा गोपाल ठाकुर - ओ राजा महेश ठाकुर ज्येष्ठ पुत्र छलाह । हुनक अचानक मृत्यु भऽ गेलनि आ ओ बड़ कम्म दिन शासन केलाह ।

राजा परमानंद ठाकुर - ओ राजा महेश ठाकुरक दोसर पुत्र छलाह । ओहो कम्मे दिन शासन केलनि ।

राजा शुभंकर ठाकुर (१६०७ मे मृत्यु ) - ओ राजा महेश ठाकुरक पाँचम पुत्र छलाह । राजा पुरुषोत्तम ठाकुर (१६०७-१६२३) - ओ राजा शुभंकर ठाकुरक पुत्र छलाह । ओ १६२३ मे मारल गेलाह ।

राजा नारायण ठाकुर (१६२३-१६४२)

राजा सुंदर ठाकुर (१६४२-१६५२)

राजा महिनाथ ठाकुर (१६६२-१६८४)

राजा निरपत ठाकुर- (१६८४-१७०० ई० धरि) - ओ अपन राजधानी राजग्राम सँ दरभंगा अनलनि । भारतक आजादी धरि दरभंगा हुनका लोकनिक शक्‍तिक केन्द्र बनल रहल ।

राजा रघु सिंह (१७००-१७३६) - राजा रघु सिंह दरभंगा आ मुज्जफ्फरपुर सहित पूरा सरकार तिरहुत लीज १,००,००० टाका वार्षिक पर प्राप्त केलनि, जे ओहि समय मे एकटा पैघ रकम छल ।

राजा विष्णु सिंह (१७३६-१७४०)

राजा नरेन्द्र सिंह (१७४०-६०)

राजा प्रताप सिंह (१७६०-१७७६)

राजा माधो सिंह (१७७६-१८०८)

महाराज छत्र सिंह बहादुर (१८०८-३९)

महाराज रुद्र सिंह बहादुर (१८३९-५०)

महाराज महेश्वर सिंह बहादुर (१८५०-६०)

महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह बहादुर (१८६०-९८)

महाराज रमेश्वर सिंह बहादुर (१८९८-१९२९)

महाराज कामेश्‍वर सिंह बहादुर (१९२९-१९४७) - १५ अगस्त, १९४७ - भारतक आजादी धरि, जहन सबटा राज्य भारतीय संघ मे शामिल भऽ गेल ।

दरभंगा राजक राजमहल

दरभंगा मे दरभंगा राज द्वारा निर्मित अनेक राजमहल अछि -

१. नरगौना राजमहल - १९३४ मे निर्मित, बाद मे मिथिला विश्वविद्यालय के दऽ देल गेल ।

२. रामबाग राजमहल - ई किलाक अंदर बनल अछि आ सबसँ पुराण अछि ।

३.लक्ष्मीविलास राजमहल - इ १९३४क भूकंप मे क्षतिग्रस्त भऽ गेल आ फेर बनाओल गेल । इ कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के दऽ देल गेल ।

४. बेला राजमहल - इ राजा विश्वेश्वर सिंह (कामेश्वर सिंहक छोट भाय)क लेल बनाओल गेल । एकरा केन्द्रीय सरकार लऽ लेलक आ एहि मे आब डाक प्रशिक्षण केन्द्र अछि ।

५. दिलखुश बाग - इहो दरभंगा किलाक अंदर मे अछि । आब प्राय: नष्टप्राय अछि । ६. मोती महल - इ १९३४क भूकंप मे नष्ट भऽ गेल । फेर एकर निर्माण नहि भेल । आब मोती महलक मात्र एकेटा कोठरी बाँचल अछि ।

एकरा अलावा राज दरभंगाक भारतक आनो कतेक शहर मे राजमहल छल, जेना कि- १-राजनगर मे राज परिसर

२-नई दिल्ली मे दरभंगा हाउस (७, मान सिंह रोड, नई दिल्ली- १)

३-दरभंगा हाउस, कोलकाता (४२, चौरंगी स्ट्रीट)

४- दरभंगा मेंशन, मुम्बई

५- दरभंगा हाउस, राँची - एहि मे सेन्ट्रल कोलफिल्ड लि. कार्यालय अछि ।

६- नवलखा पैलेस, पटना - इ पटना विश्वविद्यालय के दान मे दऽ देल गेल । एकर परिसर मे एकटा काली मंदिर सेहो अछि ।

५- दरभंगा हाउस, कैथू, शिमला - लौरेटो कन्वेन्ट स्कूल, छाब्रा, शिमला- आब हिमालयन इन्टरनेशनल स्कूल

६- दरभंगा हाउस, दरभंगा घाट, वाराणसी

७- दरभंगा हाउस आ दरभंगा किला, इलाहाबाद

८- दरभंगा हाउस, दार्जिलिंग

राज दरभंगा द्वारा निर्मित प्रमुख मंदिर

कंकाली मंदिर, रामबाग, दरभंगा

माधेश्वर मंदिर, दरभंगा

श्यामा मंदिर, दरभंगा

मनोकामना मंदिर, दरभंगा

राज राजेश्वरी काली मंदिर, मुज्जफ्फरपुर

काली मंदिर, नवलखा पैलेस, पटना

राम मंदिर, बाँस फाटक, वाराणसी

राम सीता मंदिर, अहिअरि गाँव, जिला-दरभंगा

दरभंगा मंदिर परिसर, दरभंगा

लक्ष्मीश्वरी तारा मंदिर, दरभंगा

राज दरभंगा आ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन

महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह बहादुर १८८५ मे भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेसक एकटा संस्थापक सदस्य छलाह । ब्रिटिश राजक प्रति अपन बफादारी निमाहैत ओ भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के सब सँ बेसी दान देलनि । काँग्रेस पार्टी इलाहाबाद मे अपन बैसार करय चहैत छल, लेकिन ओकरा सरकार सँ कोनो आम स्थान पर बैसार करबाक लेल अनुमति नहि भेटलैक । तखन राज दरभंगा एहि स्थान के खरीद लेलनि आ काँग्रेस के ओतय अपन बैसार करबाक अनुमति देलनि । १८९२ ई. मे काँग्रेसक वार्षिक बैसार लौथेर किला मे २८ दिसम्बर के भेल, जे तत्कालीन दरभंगाक महाराज द्वारा खरीदल गेल छल । इ क्षेत्र राज दरभंगा द्वारा काँग्रेस के लीज पर दऽ देल गेल ताकि ओ एहि मे अपन बैसार कऽ सकथि । महाराज दरभंगा भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेसक बहुत पैघ समर्थक छलाह । महात्मा गाँधी महाराज कामेश्वर सिंह के अपन पुत्र सद्दृश मानैत छलाह ।

राज दरभंगाक राजा, मिथिला समाज आ मैथिली भाषा

राज दरभंगाक राजा लोकनि जाति सँ ब्राह्मण छलाह । बहुत समय सँ ज्ञानक केन्द्र हेबाक कारणें राजा लोकनि ज्ञान, कला आ हस्तकला के हरसंभव प्रवर्धित केलनि । एकर मिथिला समाज पर नीक प्रभाव पड़ल । आइयो कोनो व्यक्तिक सामाजिक हैसियत धनक बजाय हुनक ज्ञानक आधार पर मानल जाइत अछि । दरभंगा महराज आ दरभंगा राज एहि क्षेत्रक लोक द्वारा मिथिला आ मैथिलीक मूर्त रूप मानल जाइत अछि । महाराज मैथिल महासभाक वंशानुगत प्रधान सेहो छलाह । महाराज आ राज दरभंगा मैथिली भाषा आ साहित्यक पुनरुत्थान मे महत्वपूर्ण भूमिका निभेलनि । महाराज कामेश्वर सिंह प्रमुख राष्ट्रवादी हेबाक कारणे मैथिलीक संग हिन्दीक सेहो समर्थन केलनि । एहि सँ मैथिली आन्दोलनक नेता लोकनि के नाराजगी भेलनि । महाराज दरभंगा लोक सँ मैथिली लिखबा मे तिरहुताक बजाय देवनागरी लिखबाक आह्‌वान केलनि । आब लोक सभ देवनागरी लिपिक प्रयोग कऽ कऽ मैथिली लिखैत छथि आ तिरहुति लिपि के पुनरुत्थानक प्रयास भऽ रहल अछि । १९३१ मे तत्कालीन दरभंगा महाराज मैथिली विकास निधिक स्थापना केलनि । एहि सँ साहित्यक कार्य आ प्रकाशन मे तेजी आयल आ अंततः १९३७ मे मैथिली के उच्चतर शिक्षा मे मान्यता भेटल । महाराज कामेश्वर सिंह के लोकप्रियता नहि भेटलनि, सिवाय एहि के की लोक देवनागरीक प्रयोग करय लागल । ओ आम जनताक राजा हेबाक बजाय एकटा छोट विशिष्ट वर्गक नेता बनि कऽ रहि गेलाह, जिनका लग अखिल राष्ट्रवादी एजेन्डा छल । हुनक आम जन सँ विलगावक अनुमान एहि तथ्य सँ लगाओल जा सकैत अछि जे स्वतन्त्रता-पूर्व भारत मे सब सँ पैघ मानव-प्रेमी आ प्रगतिवादी दिमागक राजा हेबाक बावजूदो ओ १९५२ मे बिहार मे आम चुनाव मे हारि गेलाह । ताहि समय मे मैथिली महासभाक एकगोट सचिव जे लिखलनि से देखल जाए : “महाराज कामेश्वर सिंह पैघ राष्ट्रवादी छलाह आ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसक एकटा संस्थापक सेहो छलाह । आब ओ राष्ट्रीय एकताक लेल काज करैत छथि । आ तें ओ मैथिलीक दावा के स्वयं खारिज कऽ देलनि आ हिन्दीक लेल लड़लाह । हमर अपन लिपि अछि, लेकिन ओ दरभंगा मे एकटा हिन्दी प्रेसक स्थापना केलनि। ई राष्ट्रीय एकताक लेल पैघ योगदान छल, लेकिन मिथिलाक लेल हानि छल ।


” एहि समय महाराज कामेश्वर सिंह ‘मिथिला मिहिर’क सेहो प्रकाशन सेहो केलनि । एकर प्रकाशन १९८०क दशक धरि जारी रहल आ तत्पश्चात एकर पुन: प्रकाशन सेहो भेल । महाराज अपन वसीयत मे मिथिला मिहिरक सतत प्रकाशनक प्रावधान केलनि, जाहि सँ एकर प्रकाशन १९०८ सँ १९८० धरि होइत रहल ।

राज दरभंगा आ मैथिल ब्राह्मण

मैथिल ब्राह्मणक राज दरभंगाक दरबार मे आदर होइत छल आ दरभंगा महाराज काशी नरेशक बहुत समान करैत छलाह । हुनक वैवाहिक सम्बंध बेतिया राज सँ सेहो छल । मैथिल ब्राह्मण मे पर्याप्त हो-हल्ला भेल जहन महाराज कामेश्वर सिंह समुद्र पार जेबाक पारंपरिक निषेधक वाबजूद इंगलैंड गेलाह । एहि बात पर मैथिल ब्राह्मण समाज दू भाग मे बँटि गेल - स्वदेशी आ विलायती । स्वदेशी ओ छलाह जे महाराजक वहिष्कारक आह्वान केलनि, किएक तँ ओ पुरान परंपरा के तोड़लनि आ विदेश गेलाह । विलायती ओ दल छल, जे महाराजक इंगलैंड यात्राक समर्थन केलनि । कतेको साल धरि मैथिल ब्राह्मण एहि मुद्दा पर बँटल रहलाह आ अंत मे सभ एकरा प्रगतिगामी कदम मानि शांत भऽ गेलाह ।

राज दरभंगा आ धर्म

दरभंगाक महाराज संस्कृत परंपराक प्रति समर्पित छलाह आ हिन्दू धर्मक अनुयायी छलाह । ओ ब्राह्मण छलाह । शिव आ काली राजपरिवारक मुख्य देवता छल । पूर्णत: धार्मिक रहलाक बावजूदो ओ लोकनि अपन विचार मे धर्म-निरपेक्ष छलाह । दरभंगाक राजमहल परिसर मे मुस्लिम संतक तीन गोट मकबरा आ एकटा छोट मस्जिद अछि । वस्तुत: दरभंगा किलाक देवाल एना बनाओल गेल अछि जे मस्जिद के नुकसान नहि पहुँचैक । मुस्लिम संतक एकटा मकबरा आनन्दबाग राजमहल के बगल मे अछि । प्राचीन हिन्दू रीति-रिवाज के पुन: शुरू करबाक उद्देश्य सँ दरभंगाक महाराज दक्षिण भारत सँ विद्वान के बजा के सामवेदक अध्ययन शुरू केलनि । महाराज रमेश्वर सिंह श्री भारत धर्म महामंडलक स्थापना केलनि आ ओ ओकर महाध्यक्ष छलाह । मंडल गैर-संरक्षक हिन्दी संगठन छल, जकर सार्वभौमिक विचार इ छल जे हिन्दी स्क्रिप्ट के सभ जाति के देल जाए । ओ आगम‍अनुसधान समितिक मुख्य प्रेरक छलाह, जेकर स्थापना अंग्रेजी आ अन्य भाषा मे तान्त्रिक पाठक प्रकाशन छल ।

राज दरभंगा आ परनामी प्रणाली

ई श्रोत्रिय परिवार मे प्रचलित छल । एहि प्रणालीक अंतर्गत श्रोत्रिय ब्राह्मण परिवार मे विवाहक मंजूरी राज द्वारा देल जाइत छल । परन्तु १९६२ मे महाराज कामेश्वर सिंहक देहांत भेलाक बाद ई प्रथा बन्द भऽ गेल ।

राज दरभंगा आ १९३४क भूकंप

१५ जनवरी, १९३४ के पूरा उत्तरी बिहार मे पैघ भूकंप आयल । ई कतेको शहर आ गाम के उजारि देलक । मुजफ्फरपुर आ दरभंगा एहि सँ बहुत प्रभावित छल । दरभंगा तँ पूर्णत: विनष्ट भऽ गेल । दरभंगा मे लगभग १५०० लोकक जान गेल आ मुजफ्फरपुर मे २००० लोकक । यद्यपि भूकंपक बाद दरभंगा के नव ढंग सँ बसेबाक प्रयास महाराज कामेश्वर सिंह केलनि, परन्तु लोक एकरा महाराज द्वारा जबर्दस्ती भूमिक अधिग्रहण मानलक आ ई काज पूरा नहि भऽ सकल । एकर बाद दरभंगा शहर मे अनेक राजमहल बनल आ संगहि अनेक सामाजिक काज भेल । एतबे नहि राज दरभंगा आन शहर मे सेहो अपन भवन बनौलनि । एहि समय मे बाजार हब के रूप मे टावर चौकक निर्माण भेल ।

राज दरभंगा आ शिक्षा

भारत मे शिक्षाक प्रसार मे राज दरभंगाक पर्याप्त योगदान छल । ओ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, कोलकाता विश्वविद्यालय, इलाहाबद विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम आ अन्य कतेको विश्वविद्यालयक मुख्य दाता छलाह । महाराज रमेश्वर सिंह बहादुर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालयक निर्माण मे पं. मदन मोहन मालवीयक बड्ड सहायता केलनि । ओ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय शुरू करक हेतु ५०००,००० रु. दान देलनि । ओ पटनाक अपन नवलखा राजमहलो पटना विश्वविद्यालय के दान कऽ देलनि आ संगहि ५००,००० टाका सेहो दान पटना मेडिकल कॉलेजक स्थापनाक लेल देलनि । कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालयक स्थापनाक लेल ओ आनन्दबाग पैलेस दान दऽ देलनि । एहिना नरगौना राजमहल १९७२ मे बिहार सरकार के दान मे दऽ देल गेल, जाहि मे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय चलैत अछि । महाराज लक्ष्मेश्वर सिंह राज स्कूल दरभंगाक स्थापना सेहो केलनि । राज दरभंगा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के ७०९३५ किताब दान मे देलनि । पटना विश्वविद्यालय मे मैथिलीक पढ़ौनी शुरू करेबा मे हुनक मुख्य योगदान छलनि । १९५१ मे भारतक पहिल राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसादक पहल पर मिथिला स्नातकोत्तर संस्थानक स्थापना भेल आ कामेश्वर सिंह ओहि लेल ६० एकड़ जमीन आ आम आ लीची सँ भरल एकटा बगान दान मे देलनि । महाराज दरभंगा महाकाली पाठशालाक स्थापना मे सेहो योगदान देलनि, जकर स्थापना गंगाबाई द्वारा १८३९ मे नारी शिक्षाक प्रचारक लेल भेल छल । ओ बरैली कॉलेज के सेहो दान देलनि ।

राज दरभंगा आ संगीत

दरभंगा संगीतक प्रमुख केन्द्र छल । दरभंगा राज एहि दिशा मे पर्याप्त योगदान देलक । प्रसिद्ध लोकनि राज दरभंगा सँ जुड़ल छलाह । राज दरभंगा ध्रुपदक मुख्य प्रेरक छलाह । एस.एम घोषक अनुसार महाराज लक्ष्मेश्वर संगीतक बड़ पैघ प्रेमी छलाह । राज दरभंगा उस्ताद बिसमिल्लाह खान, गौहर खान, पं. राम चतुर मल्लिक, पं. रमेश्वर पाठक, पं. सियाराम तिवारी आदि के सहायता देलनि । उस्ताद बिस्मिल्लाह खान कतेको वर्ष धरि दरभंगा मे रहलाह । राज दरभंगा मुराद अलि खान, ग्वालियर के सेहो सहयता देलनि । मुराद अलि खान प्रमुख सरोद वादक छलाह । प्रसिद्ध गायक कुन्दन लाल साह राजा बहादुरक (राजा विश्वेशर सिंह)क परम मित्र छलाह । जहन दुनू बेला राजमहल मे मिलैत छलाह तँ गजल आ ठुमरीक साज सजैत छल ।

राज दरभंगाक कंपनी

महाराज कामेश्वर सिंह पैघ उद्योगपति छलाह आ हुनका लग १४ टा कारखाना छलनि । एहि मे सँ किछुक नाम एना अछि -

न्यूजपेपर एण्ड पब्लिकेशन प्रा. लिमिटेड, वालफोर्ड - ऑटोमोबायल डीलरशिपक व्यवसाय, दरभंगा एविएशन, अशोक पेपर मील, सकरी आ पंडौल चीनी मील, रामेश्वर जूट मील, ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन, ऑक्टेवियल स्टील, ठाकर स्पिंक एण्ड कं. प्रा. लि., दरभंगा इन्वेस्टमेन्ट प्रा. लि., दरभंगा डेयरी फर्म (प्रा.) लिमिटेड, दरभंगा मार्केटिंग लि., तिरहुत स्टेट रेलवे आदि

राज दरभंगा आ लोक कार्य

- बंगालक अकाल मे ३००,००० पौ. सहायता ।

- महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह अपन निधि सँ कतेको स्कूल, डिस्पेन्सरी आदिक निर्माण करौलनि, जाहि मे दरभंगाक प्रमुख छल ।

- मुजफ्फरपुर न्यायालयक निर्माणक लेल ५२ बीघा जमीनक दान ।

अनेक तालाब आ झील खुदबाओल गेल, जाहि सँ सिंचाई मे सुविधा भेलैक ।

- महाराज लक्ष्मेश्वरक तत्परता सँ उत्तरी बिहार मे पहिल रेलवे लाईन दरभंगा आ बाजितपुरक बीच बनाओल गेल ।

- राज दरभंगा १९म शताब्दीक प्रारंभ धरि १५०० कि.मी. सड़क बनेलक ।

- अनेको धर्मशाला जेना वाराणसी मे राम मंदिर आ रानी कोठा बनाओल गेल ।

- गरीब आ विपन्न लोकक लेल घरक निर्माण भेल ।

-मुंगेर जिला मे विशाल जलाशयक निर्मण भेल ।

राज दरभंगा आ खेल

राज दरभंगा विभिन्न खेल के प्रोत्साहित केलक । लहेरियासरायक पोलो ग्राउंड ओहि समयक महत्वपूर्ण स्थल छल । कलकत्ताक एकटा प्रमुख पोलो टूर्नामेंट मे दरभंगा कप प्रदान कयल जाइत अछि । राजा विशेश्वर सिंह अखिल भारतीय फूटबौल एसोसियनक संस्थापक सदस्य छलाह । राजा विश्वेशर सिंह राय बहादुर जे.पी. सिन्हाक संग १९३५ धरि एहि फेडरेशनक मानद सचिव छलाह । माउंट एवरेस्ट पर पहिल चढाई १९३३ मे आयोजित भेल, जेकर आतिथ्‍य बनैलीक राजाक संग महाराज कामेश्वर सिंह सेहो कयने छलाह ।

राज दरभंगा आब महाराज कामेश्वर सिंहक मृत्युक बाद राज दरभंगा उत्तराधिकारी के बिना रहि गेल आ राज परिवारक आब दरभंगा आ मिथिला क्षेत्र मे कोनो खास प्रतिष्ठा आ आदर नहि रहि गेल अछि |


दरभंगाक मानचित्र :-









II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

माछक महत्व


हरि हरि ! जनम कि‌ऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पल‌इ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कब‌इ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खा‌एब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



पग पग पोखैर पान मखान , सरस बोल मुस्की मुस्कान, बिद्या बैभव शांति प्रतिक, ललित नगर दरभंगा थिक l

कर भला तो हो भला अंत भले का भला

समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हमअहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........

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एकता विकास के जननी छै

जय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)


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