जय मैथिली" जय मिथिला" जय मिथिलांचल" !!!जय श्यामा माई !!!!!सुस्वागतम- सुस्वागतम!!! समस्त पाठकगन के ब्लॉग पर स्वागत अछि |
समस्त मिथिला बंधुगनकें "ललन दरभंगावालाक" प्रणाम...मैथिल छी हम इए हमर पहचान" अपनें समस्त Site Viewers कें हमर एहि ब्लॉग पर बहुत बहुत स्वागत अछि" हम अपने सभक लेल ब्लॉग प्रस्तुत केने छी,तही हेतु इ ब्लॉग पर एक बेर जरुर धयान देब ...और अपन सुझाब ,कोनो तरहक रचना,चुटकुला वा कोनो तरहक समाचार जरुर मेल करब....

जालवृत्तक संगी - साथी |

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

garbhputra


मिथिला गर्भपुत्र@PRABHAT RAY BHATT

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Friday, March 18, 2011 at 10:58am
मिथिला गर्भपुत्र@PRABHAT RAY BHATT

माँ हम अहाक गर्भ में पलिरहल्छी,मुदा जन्म लेबS पहिले हम अपन मोनक बात किछ आहा के सुनाब चाहैत छि! यी हमर पुनर्जन्म अछी हम अहि मिथिलांचल के जनकपुरधाम में जन्मलरहलौ ताहि समय में विदेह एकटा समृद्ध राष्ट्र रहैक जेकर अपन भाषा अपन भेष बिदेह के गौरव रहैक,कोशी स गण्डकी तक गंगा स हिमालय के पट यी सम्पूर्ण भूमि मिथिलांचल रहैक जतय कोशी कमला विल्वती यमुनी भूयसी गेरुका जलाधीका दुधमती व्याघ्र्मती विरजा मांडवी इछावती लक्ष्मणा वाग्मती गण्डकी अर्थात गंगा
आर हिमालय के मध्य भाग में यी पंद्रह नदी के अंतर्गत परम पवन तिरहुत देश विख्यात छल ! जतये कोशी कमला क वेग स संगीत उत्पन होइत्छल दुधमतीस दूध बहथी नारायणी में स्नान कैयला स स्वस्थ काया भेटैत
 छल,गण्डकी के वेग स प्रेरित कवी गंडक काव्यसुधा रचित छल,कवी कौशकी कोशी तट बईस काव्यवाचन
करैत छल ! अनमोलसंस्कृति  आर अनुपम  प्रकृति केर उद्गमस्थल याह मिथिलाधाम छल बागबगीचा में कोइली मीठ मीठ संगीत गबैछल शुभ-प्रभातक लाली स मिथिलाक जनजीवन स्वर्णिम छल !हर घर मंदिर आ लोग इह के साधू संत छल चाहे कोनो मौसम होइक सद्खन ईहा बहैत बसंत छल !पग पग पोखईर माछ मखान मीठ मीठ बोली मुह में पान इ छल मिथिलाक पहिचान,अहि ठाम जन्म लेलैथ पैघ पैघविद्वानवाचस्पति, विद्यापति,गौतम, कपिल, कणाद,जौमिनी,शतानंद,श्रृंगी,ऋषि याज्ञवल्क्य ,सांडिल
,मंडन मिश्र,कुमारिल भट्ट ,नागार्जुन,वाल्मीकि, कवी कौशकी, कवी गंडक ,कालिदास, कवीर दास,महावीर यी सब छलैथ
मिथिलापुत्र एतही जन्म लेलैथ माँ जानकी राजर्षि जनक के पुत्रीक रूप में !एतही भगवान शिव उगना महादेव के रुपमे महा कवी विद्यापति के चाकर बनलाह ! मिथिला भूमि से अवतरित होइत छल ऋषि मुनि साधू संत भगवान ताहि स कहलगेल की यी मिथिलाभूमि अछि वसुधा के हृदय !मिथिलाक मान समान स्वाभिमान भाषा  भेष प्रेम स्नेह ज्ञान विज्ञान विश्व  बिख्यात छल! अहि ठाम जन्म लेबक लेल देवी देबता सब लालायित होइत छल ! तायहेतु हमहू पूर्व जन्म में माँ जानकी स कमाना
कयने रहलू जे हे माता जाऊ हम फेर मानव कोइख में जन्म ली ता हमरा मिथिले में जन्म देव !ताहि स हम अपनेक कोइख में पली रहल छि! मुदा  आजुक मिथिलाक दुर्दशा देखिक हम संकोचित भगेल्हू,विस्वास नए बहरहाल अछि जे यी वाह्य मिथिला छई राजर्षि जनक के नगरी वैदेहिक गाम की कोनो दोसर ?सब किछ बदलल बदलल जिका लगैय,कियो कहिय हम नेपाल के मिथिला में छि ता कियो कहैय हम
विहार के मिथिला में छि यी विदेह नगरी दू भाग में विभक्त कोना भगेलई माए? राजा प्रजा शाषक जनता भाषा भेष व्यबहार व्यापार ज्ञान विज्ञान सब किछ
बदलल बुझाईय !मिथिलाक अस्तित्व विलीन आ परतंत्र शासन के आधीन में हमर मिथिला  कोना आबिगेल माए ? मैथिल भाषा कियो नए बाजैय, धोती कुरता फाग के उपहास भरह्लय,महा कवी विद्यापति क गीत कियो नए गबैय ! मिथिलाक संस्कृति लोप के स्थिति में कोना आबिगेल माए ?
समां चकेवा ,जट जटिन,झिझिया,झूमर,झंडा निर्त्य,सल्हेश कुमार्विर्ज्वान,आल्हा उदल,कजरी मल्हार यी नाट्यकला सब कतय चलिगेल ? मिथिलाक एतिहासिक स्थल सब एतेक जरजट कोना भगेल ?
माए हम त पुनर्जन्म मांगने छलु मिथिला राज्य में मुदा आहा अछि विहार में,माए हम त पुनर्जन्म मांगने छलु मिथिला राज्य में मुदा आहा अछि नेपाल में ,माए हमर विदेह राज्य कतय चलिगेल ?माए हम त अपन मिथिला राज्य में जन्म लेब चाहैत छि मिथिला माए क कोरा सन निश्छल आ बत्सल प्रेम खोजलो स नए भेटत चहुओरा में !हम अपन मोनक सबटा जिज्ञासा ब्यक्त केनु आब आहा किछ मार्गदर्शन करू माए !हम मजधार में फसल छि हमर करूणा सुनी हमर सपना साकार करू माए !!!
लेखक:-प्रभात राय भट्ट

0 पाठकक टिप्पणी भेटल - अपने दिय |:

एक टिप्पणी भेजें

II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

माछक महत्व


हरि हरि ! जनम कि‌ऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पल‌इ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कब‌इ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खा‌एब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



पग पग पोखैर पान मखान , सरस बोल मुस्की मुस्कान, बिद्या बैभव शांति प्रतिक, ललित नगर दरभंगा थिक l

कर भला तो हो भला अंत भले का भला

समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हमअहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........

अहांक स्वागत अछि.अहां सभ अपन विचार... सुझाव... कमेंट(मैथिली या हिन्दी मै ) सं हमरा अवगत कराउ.त देर नहि करु मन मे जे अछि ओकरा लिखि कs हमरा darbhangawala@gmail.com,lalan3011@gmail.com पर भेज दिअ-एहि मेल सं अहां अपन विचार... सुझाव... कमेंट सं हमरा अवगत कराउ. सम्पर्क मे बनल रहुं. ..........

एकता विकास के जननी छै

जय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)


अहाँ अपन अमूल्य समय जे हमर ब्लॉग देखै में देलो तही लेल बहुत - बहुत धन्यवाद... !! प्रेम स कहू" जय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल(बिहार),जय श्यामा माई -

अपना भाषा मै लिखू अपन बात

अपनेक सुझाव वा कोनो नव जानकारी निचा मै जरुर लिखू l

HTML Comment Box is loading comments...
Text selection Lock by Hindi Blog Tips

कतेक बेर देखल गेल