आँखों के ईशारे देख ये दिल तुझे पुकारे !!
आँखों ही आँखों में हमने पढ्लिये दिल की शारी बात तुम्हारे !!
मेरे दिल में बाजी है प्यार की सह्नायियाँ !!
आजा मेरे करीब मिटादे मेरी तन्हाईयाँ !!
दिल की बात जुवां पे लाऊ कैसे !!
हल्का हल्का मीठा मीठा प्यार का एहसास !!
दिलमे मची है हलचल ,लम्बी लम्बी है मेरी साँस !!
ओठ कपकपाती है,जिश्म में सिहरन आजाती है !!
आँख झुक जाती है दिलकी बात जुवां पे अटक आती है !!
थम गयी है अपनी जगह चाँद तारें सारे !!
मौसम है सुहाना सुहानी पल ki है ये ईशारे !!
तू मुझमे डूब जाओ मई तुझ में खो जाऊ !!
मिटा के ये शारी दूरियां दो जिश्म एक जान हो जाऊ !!
मेरी मन की उमंग तेरे तन की तरंग !!
आजा मिलनकी प्यास बुझाले एक दूजे की संग !!
आ जरा देखे हम अपनी प्यार की नज़ारे !!
आँखों की ईशारे देख ये दिल तुझे पुकारे !!
यु ही इंतजार में बीत नजाए ये सुहाना पल !!
जी ले मस्त भरी जिंदगी खुदा न जाने क्या होगा कल !!
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हम
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एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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