मोनक चिड़ैयाँ जा क बैसल,
हुनके रूपक गाछ पर,
हम त हुनका लेल छी ओहिना,
जहिना खोंईचा होई छै माछ पर||1||
तैयो प्रियतम लेल छी व्याकुल,
आब नै मानब प्रात हम,
अपन जीवन केर डोरी आई ,
देबई हुनके हाथ हम ||2||
जो रे चिड़ैयाँ प्रियतम सँ कहिहैं,
ओ छथि हमर साँस सन् ,
जँ ओ नै भेटती मरि जायब ,
होयब बिरहन लेल मधुमास सन् ||3||
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
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एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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