पुत्र बेचई में माहिर छथि सब,
खूब दहेजके माँग करथि,
देखियौ कोंखक हाट लगा कs,
बेटा,बरद समान करथि ||1||
जिनका लग टाका केर ढाकी,
हुनके बेटी शान करथि,
मोल गरीबक नैं छै कनिको,
धिया गरीबक अग्नि जरथि ||2||
देखियौ ई समाज कसैया,
ओकरे पर अभिमान करथि,
जेकर मोल जतेक छै अहि जग,
तकरे सब गुणगान करथि ||3||
हम हीन बुझै छी ओहि समाज के,
दहेजक जे सम्मान करथि,
धुर छि ! ओ लोक पशु थिक,
जे बेटिक अपमान करथि ||4||
जँ क्यो करथि विवाह आदर्शे,
सब हुनका विकलाँग बुझथि ,
लड़का म किछु ऐब हेतई !
से कनफुसकी, कय बदनाम करथि ||5||
उठू यौ मैथिल जन सब आबो,
माँ मिथिला ई माँग करथि ,
बना दियऊ दहेज-मुक्त-मिथिला ,
जाहि सँ मिथिला भरि जग नाम करथि ||6||
•••••••••• Manish Jha
खूब दहेजके माँग करथि,
देखियौ कोंखक हाट लगा कs,
बेटा,बरद समान करथि ||1||
जिनका लग टाका केर ढाकी,
हुनके बेटी शान करथि,
मोल गरीबक नैं छै कनिको,
धिया गरीबक अग्नि जरथि ||2||
देखियौ ई समाज कसैया,
ओकरे पर अभिमान करथि,
जेकर मोल जतेक छै अहि जग,
तकरे सब गुणगान करथि ||3||
हम हीन बुझै छी ओहि समाज के,
दहेजक जे सम्मान करथि,
धुर छि ! ओ लोक पशु थिक,
जे बेटिक अपमान करथि ||4||
जँ क्यो करथि विवाह आदर्शे,
सब हुनका विकलाँग बुझथि ,
लड़का म किछु ऐब हेतई !
से कनफुसकी, कय बदनाम करथि ||5||
उठू यौ मैथिल जन सब आबो,
माँ मिथिला ई माँग करथि ,
बना दियऊ दहेज-मुक्त-मिथिला ,
जाहि सँ मिथिला भरि जग नाम करथि ||6||
•••••••••• Manish Jha
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