कतबो जनम लेब अहि धरती,
नैं चुका सकब तोहर एहसान,
जिनगी तोरे चरण निछावर,
करबै हम तोरे पर मान ||1||
नौं-नौं मास उदर मs रखलें,
तैं दै छी तोरा सम्मान,
तोरे कोंख जनम भेल हमर,
आई करी हम से अभिमान ||2||
हाथ दुलारक माथ पर दs कs,
बढा देलैं हमर तू शान,
गलती कतबो करी जँ माता,
नैं तू बुझिहैं हमरा आन ||3||
हमरा भीतर जे संस्कार पलई अछि,
से तू हमरा देलैं दान,
ओई दिन धरती ज्वाला भ जरतै,
जँ क्यो करत मातृ -अपमान ||4||
सुनू हे पाठक! कलम कहै अछि,
सुनू खोलि क दूनू कान,
मातृ रूप मs देवी के पुजियौन,
नैं त भूमि बनत श्मशान ||5||
••••••• Manish Jha
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हम
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एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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