सब सँ सुंदर अपन ई धरती,
बाबा विद्यापति केर गाम यौ,
सब मिल करू प्रणाम फेर सँ,
अपन मिथिला धाम यौ ||1||
जतय ऋषि श्रेष्ठ गौतम नामी,
विदु में मंडन ओतय गामी,
भारती केर प्रतिभा ओहि ठाम यौ,
सब मिल करू प्रणाम फेर सँ,
अपन मिथिला धाम यौ ||2||
माछ-मखानक जतय रीत अछि,
पानक लाली अपन प्रीत अछि,
सीता बहिन आ पाहुन राम यौ,
सब मिल करू प्रणाम फेर सँ,
अपन मिथिला धाम यौ ||3||
कोशी-कमला जतय बहै अछि,
सुग्गा जतय बेद कहय अछि,
सरिसब आ बिस्फी सन् गाम यौ,
सब मिल करू प्रणाम फेर सँ,
अपन मिथिला धाम यौ ||4||
शंकर रूप अयाचिक आँगन,
उगना रूप विद्यापतिक प्राँगण,
ई दूनू रूप धय ऐला सदाशिव,
अपनहिं मिथिला गाम यौ,
सब मिल करू प्रणाम फेर सँ,
अपन मिथिला धाम यौ ……
सब मिल करू प्रणाम फेर सँ,
अपन मिथिला धाम यौ ||5||
•••••••• मनीष झा
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हम
अहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........
अहांक स्वागत अछि.अहां सभ अपन विचार... सुझाव... कमेंट(मैथिली या हिन्दी मै ) सं हमरा अवगत कराउ.त देर नहि करु मन मे जे अछि ओकरा लिखि कs हमरा
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एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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