आबू नए हे मईया लक्ष्मी हमरो घरमे आबू नए -----२
जगमग दीप जरौने छि
अहिक ध्यान धयने छि
वर्षेय आजू आनंद भवनमे
श्रद्धा सुमन मन उपवनमें
आबू नए हे मईया लक्ष्मी
हमरो घरमे आबू नए -----२
अन्न धन सं भंडार भरू
हमरो गरीबक उद्धार करू
रोग शोक कय दूर करू
सुख समृद्धि कय दूर करू
आबू नए हे मईया लक्ष्मी
हमरो घरमे आबू नए -----२
दिन दुखी हम दुखिया
आएलछि शरणमें अहींक मईया
मजधार में अटकल हमार नैया
भेटैयने कुनु पतवार कियो खेबैया
आबू नए हे मईया लक्ष्मी
हमरो घरमे आबू नए -----२
अहिं मलाह पतवार खेबैया
करियौने भवसागर सं पार हे मईया
सुनु ने हमरो पुकार हे मईया
करियौने हमरो वेड़ा पार हे मईया
आबू नए हे मईया लक्ष्मी
हमरो घरमे आबू नए -----२
कोना करी कीर्तन भजन
स्वर में अछि माधुर्ज नहीं
मोनक भाव प्रकट करवालेल
वाणी में अछि चातुर्ज नहीं
आबू नए हे मईया लक्ष्मी
हमरो घरमे आबू नए -----२
वाणीमें चातुर्ज दिय
स्वरमें माधुर्ज दिय
रिद्धिसिद्धि वंस वृद्धि दिय
गुणनमें रित सजनमें प्रीत दिय
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हम
अहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........
अहांक स्वागत अछि.अहां सभ अपन विचार... सुझाव... कमेंट(मैथिली या हिन्दी मै ) सं हमरा अवगत कराउ.त देर नहि करु मन मे जे अछि ओकरा लिखि कs हमरा
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एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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