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शनिवार, 29 अक्तूबर 2011



उग हो सुरुजदेव@प्रभात राय भट्ट


उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//

हाथ अर्घ लेने हम जलमें ठार
उग हो सुरुजदेव सुनियौ  नए हमरो पुकार
थर थर कपैय देह जल विच हम ठार
उग हो दीनानाथ करियौ नए हमरो उद्धार
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//१

भेलई भीन्सरबा काग करैछई शोर
दर्शन कय खातिर नैना ब्याकुल मोर
सुगा मनडराई देख केराके घौर
फलफूल डाली देख चीडैया करय शोर 
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//२

अन्न धन लक्ष्मी दिय गोदमे ललना
पूरा करियौ दीनानाथ हमरो मनोकामना
बेट्टी लक्ष्मीनि दिय विद्द्वान जमाय
हो दीनानाथ दिनकर होऊ नए सहाय
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//३

बड़ारे जतन से अएली छठी मईयाके घाट
हे छठी मईया नैना तकैय अहींक बाट
कोढ़ीयन कय काया दिय निर्धनके धन
निष्ठुर निश्चर कय दिय दयालु मोन
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//४

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

माछक महत्व


हरि हरि ! जनम कि‌ऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पल‌इ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कब‌इ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खा‌एब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



पग पग पोखैर पान मखान , सरस बोल मुस्की मुस्कान, बिद्या बैभव शांति प्रतिक, ललित नगर दरभंगा थिक l

कर भला तो हो भला अंत भले का भला

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