बदरा उमैर उमैर घनघोर बरसे आंगन मोर
प्यासल तनमन अछि
हृदय भेल हमर विभोर
दिल चुराक प्रीतम मोर
कतय गेले चितचोर //२
सिनेहियाक सूरत देखैले
नैना सं झहरे नोर
रिमझिम रिमझिम सावन वर्षे
तनमन में अगनके जलन
सजन उठल बड जोर
कतय गेले चितचोर //२
अंग अंग ब्यथा उठल
फटेय पोर पोर
बदरा के बूंद बूंदमें
लगैय संगीतक शोर
खन खन खनकैय कंगना
छम छम बजैय पायल मोर //२
पिया लग आऊ प्यास बुझाऊ
मोनमें उठल बड जोरक हिलोर
अहां बिनु जोवन भेल भारी मोर
कतय गेले सजन चितचोर
विरहिन भेष देख हमर
मुस्की मारैय चानचकोर //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हम
अहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........
अहांक स्वागत अछि.अहां सभ अपन विचार... सुझाव... कमेंट(मैथिली या हिन्दी मै ) सं हमरा अवगत कराउ.त देर नहि करु मन मे जे अछि ओकरा लिखि कs हमरा
darbhangawala@gmail.com,lalan3011@gmail.com पर भेज दिअ-एहि मेल सं अहां अपन विचार... सुझाव... कमेंट सं हमरा अवगत कराउ. सम्पर्क मे बनल रहुं. ..........
एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
0 पाठकक टिप्पणी भेटल - अपने दिय |:
एक टिप्पणी भेजें