आहाँ बनू चान,
हेतई स्नेहक ईजोरिया,
हमहूँ प्रेमक जोगाड़ लेल,
नित काटी अहुँरिया ||1||
आहाँ बनू सोम-रस ,
हम बनि जाई मधुशाला,
चुसकी लs पीबथि ,
रसिक जन , सब हाला||2||
आहाँ बनू मोती ,
हम बनायब प्रीतक माला,
हम बनी हृदयक धक-धक,
आहाँ बनि जाऊ यै आला||3||
आहाँ बनू गुलाब,
हम बनि जाई काँट यै,
सोचता सब शत(100) बेर,
लगाबै लेल हाथ यै ||4||
आहाँ बनू कलम ,
हम बनि जाई कागत,
लिखब फेर कविता,
हेतै थपड़ी सँ स्वागत ||5||
•••••• मनीष झा
हेतई स्नेहक ईजोरिया,
हमहूँ प्रेमक जोगाड़ लेल,
नित काटी अहुँरिया ||1||
आहाँ बनू सोम-रस ,
हम बनि जाई मधुशाला,
चुसकी लs पीबथि ,
रसिक जन , सब हाला||2||
आहाँ बनू मोती ,
हम बनायब प्रीतक माला,
हम बनी हृदयक धक-धक,
आहाँ बनि जाऊ यै आला||3||
आहाँ बनू गुलाब,
हम बनि जाई काँट यै,
सोचता सब शत(100) बेर,
लगाबै लेल हाथ यै ||4||
आहाँ बनू कलम ,
हम बनि जाई कागत,
लिखब फेर कविता,
हेतै थपड़ी सँ स्वागत ||5||
•••••• मनीष झा
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