दहेज का उद्देश्य नवविवाहित पुरुष को गृहस्थी
जमाने में मदद करना था, जो अन्य आर्थिक संसाधनों के अभाव में शायद वह स्वयं
नहीं कर सकता था। कुछ समाजों में दहेज का एक अन्य उद्देश्य था, पति की
अकस्मात मृत्यु होने पर पत्नी को जीवन निर्वाह में सहायता देना। दहेज के
पीछे एक अवधारणा यह भी रही होगी कि पति, विवाह के साथ आई ज़िम्मेदारी का
निर्वाह ठीक तरह से कर सके। वर्तमान युग में भी दहेज नवविवाहितों के
जीवन-निर्वाह में मदद के उद्देश्य से ही दिया जाता है।
परन्तु क्या अभ
ी
ऐसा होता है ? एक लड़की के पिता लड़की के बचपन से हि उसके शादी के लिए
पैसे को अलग से जुगाड़ कर के रखते है , और उसकी शादी के टाइम दहेज़ के रूप
में लड़के बाले को दे देते है |
८५ % लड़के के पिता उस में से
ज्यादा तर पैसे अपने यहाँ होने वाले आडम्बर में खर्च कर देते है | जैसे ऐसा
लगता है की सारे सौख मनोरथ अपने बेटे कि शादी में हि पूरा करने के लिए पाल
के रखे हो |
क्या यह सही है ? एक लड़के वाले क्यों नहीं अपने बेटे के
शादी लिए भी पैसे जमा कर के रखते है ? और वो पैसे से अपने अंदर पलने वाले
सौख को पूरा करते है ?
जागो भाई जागो लड़की किसी घर के बोझ नहीं है , लड़की है तो कल है .............
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हम
अहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........
अहांक स्वागत अछि.अहां सभ अपन विचार... सुझाव... कमेंट(मैथिली या हिन्दी मै ) सं हमरा अवगत कराउ.त देर नहि करु मन मे जे अछि ओकरा लिखि कs हमरा
darbhangawala@gmail.com,lalan3011@gmail.com पर भेज दिअ-एहि मेल सं अहां अपन विचार... सुझाव... कमेंट सं हमरा अवगत कराउ. सम्पर्क मे बनल रहुं. ..........
एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
0 पाठकक टिप्पणी भेटल - अपने दिय |:
एक टिप्पणी भेजें