मुह किया फुलौनेछी@प्रभात राय भट्ट
किछ बाजु नए सजनी हमर प्राण प्रिया,
मोन कुह्कैया सजनी फटईय हमर हिया,
भूल करबै नए कहियो देब दगा प्रियतम,
अहाँक पबैला लेब हम बेर हजार बेर जन्म,
संग देब अहाँ केर जाधैर चलतै हमर साँस,
अहूँ संग नए छोड़ब यी अछि हमर आस,
अहाँ छि अनमोल रत्न रखाब हम जतन,
अहिं पैर निछावर केनु प्रिया अपन तनमन,
अहाँक स्नेह स: मोनमे हमरा उमरल उमंग,
प्रेमक डगैर पैर हम चलब अहाँक संग संग,
कियो तोईर नए सकैत अछि यी प्रेम बंधन,
आई नए त काईलह हेतई अपन प्रेम मिलन,
लाख बैरी हेतई दुनिया चाहे अओर जमाना,
प्रियतम जौं अहाँ संग दी त मिलजेतै ठेगाना ,
प्रेम स: उपजैय जिनगीमें रंगविरंगक बहार,
प्रेमक जे दुश्मन ओकर जिनगी अछि बेकार,
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
0 पाठकक टिप्पणी भेटल - अपने दिय |:
एक टिप्पणी भेजें