गीत:-विरह
आबू हमरा लग आबू पिया निरमोहिया // मुखड़ा
सेनुरक लाज रखु हमर पिया सिनेहिया//२
कतय गेलहुं हमर प्रीतम चितचोर
अहाँक इआदे नैना बरसैय मोर
जिब नै सकब अहाँ बिनु हम सजना
घुईर चली आबू पिया अपन अंगना
आबू हमरा लग आबू पिया निरमोहिया //
सेनुरक लाज रखु हमर पिया सिनेहिया//२
पल पल हम मरि मरि जिबैतछी
घुइट घुइट आइंखक नोर पिबैतछी
घुईर आबू सुनिक हमर वेदनाक स्वर
करजोरी विनती करैतछी पिया परमेश्वर
आबू हमरा लग आबू पिया निरमोहिया //
सेनुरक लाज रखु हमर पिया सिनेहिया//२
अहिं हमर मथुरा काशी मका मदीना
अहाँ बिनु नहीं अछि हमरा जिनगी जीना
चिर निंद्रा सं जागी आबू कलक मुह सं भागी
समसान सं उठी आबू कब्रस्तान सं निकली आबू
आबू हमरा लग आबू पिया निरमोहिया // सेनुरक लाज रखु हमर पिया सिनेहिया//२
आस नहि तोडू पिया साँस रहिगेल बड़ कम
जौं कनियो देर करब निकली जाएत हमर दम
निकली जाएत हमर दम....................२
पिया ...........पिया ........मोर पिया.....२
आबू हमरा लग आबू पिया निरमोहिया //
सेनुरक लाज रखु हमर पिया सिनेहिया//२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
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एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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