ये हवा मुझे ईतना बता ,क्या है मेरे महबूब की पता !!
नजाने किस हल में होगी ओ कुछ नहीं मुझे पता !!
जीना मुहाल हो गया है मेरा ,जबसे हुवा ओ मुझ से जुदा !!
मौला मेरे मुझे मेरे महबूब से मिलादे ,उम्र भर करूँगा मै तेरा सजदा !!
मेरे बेबसी की नजाकत पर जरा तरस खाओ !!
रहम करके मौला मेरे महबूब से मिलादों !!
डस रही है मुझे इस तन्हाई में लम्बी रात की जुदाई !!
एहसास होता है की ओ साथ है मेरे बनके मेरी परछाई !!
ढल चुकी है सूरज छाने लगी है अँधेरा !!
मुझे मेरे महबूब से मिलना है नजाने कब होगी सबेरा !!
नजाने क्या भूल हुयी मुझसे ,क्या है मेरा खता !!
नजाने किस हालमे होगी ओ ,कुछ नहीं मुझे पता !!
मौला मेरे मौला मुझे मेरे मेह्बुबसे मिलादे ,या तो फिर जनाजा उठादे !!
मौला मेरे मौला मुझे मेरे मेह्बुबसे मिलादे ,मेरे तक़दीर बनादे !!
उसकी यद्मे ईतना टूटा हूँ की छुनेसे बिखर जाऊंगा !!
मिलने की तमन्ना सायद दिलमे लिए मिटटी में दफ़न होजाऊंगा !!
मौला मेरे मौला मुझे मेरे मेह्बुबसे मिलादे ,मेरे तक़दीर बनादे !!
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हम
अहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........
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एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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