पहिल प्रेमक पहिल पत्र प्रीतम हम लिखैतछी मोनक सभटा बात पिया अहिं सं हम कहैतछी
अहां बिनु दिल नै लSगैए हमर तहियाँ सं
दिल चुराकS हमर लगेलौं पिया जहियाँ सं
पहिल प्रेमक पहिल पत्र प्रियतमा हम लिखैतछी
मोनक सभटा अरमान धनी अहिं सं हम कहैतछी
गोरी आऊ हमरा अंगना खन खन खनकाउ कंगना
अहां बनू हमर सजनी हम बनब अहांक सजाना
हमरा आबू बाबूजी सं बिआहक गप चलाबू
डोली कहार बैंड बाराती लS क जल्दी आबू
हम महफा में बैठ जाएब पिया अहांक अंगना
छम छम बजाएब पायल आर खनकाएब कंगना
कने थईम जाऊ धनि आबैयदिए लगन
अहां बनब हमर सजनी हम अहांक सजन
अप्पन बिआह सं भैया बाबु छथि मग्नमें
हम बैंड बाराती लS क आएब अहि लगनमे
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हम
अहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........
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एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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