लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश// छोईड़कS अप्पन जन्मधरती अप्पन देश //२
जाईतछें दूर परदेश बौआ सबेरे सबेरे
कुशले कुशल रहिहें बौआ साँझ सबेरे
समय सं खैहें पीबीहें डेरा अबिहें सबेरे
झगरा झंझट नहीं करिहें केकरो सं अनेरे
लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS अप्पन जन्मधरती अप्पन देश //२
मोन सं करिहें बौआ अप्पन कामधाम
दिहे बौआ अपनो देह केर आराम
खूब कमैहे ढौआ रुपैया आर दाम
बौआ कमौआ घुईर अबिहे नहीं गाम
लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS अप्पन जन्मधरती अप्पन देश //२
कोना चल्तौ घरद्वार कोना चूल्हा चौका
छोड़ीएह नै नोकरी भेटलछौ बढियां मौका
बेट्टा धन होएतेछैक बौआ रे परदेश कें
सुख नहीं भेटैएछैक बिनु दुःख कलेश कें
लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS अप्पन जन्मधरती अप्पन देश //२
घरक ईआद अबिते बौआ करिहें टेलीफोन
माए बोहीन सं गुप करीकें शांत भsजेतौ मोन
तोरे कमाई सं हेती जानकिकs कन्यादान
भेजैत रहिहे बौआ किछु किछु सरसमान
लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS अप्पन जन्मधरती अप्पन देश //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हम
अहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........
अहांक स्वागत अछि.अहां सभ अपन विचार... सुझाव... कमेंट(मैथिली या हिन्दी मै ) सं हमरा अवगत कराउ.त देर नहि करु मन मे जे अछि ओकरा लिखि कs हमरा
darbhangawala@gmail.com,lalan3011@gmail.com पर भेज दिअ-एहि मेल सं अहां अपन विचार... सुझाव... कमेंट सं हमरा अवगत कराउ. सम्पर्क मे बनल रहुं. ..........
एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
0 पाठकक टिप्पणी भेटल - अपने दिय |:
एक टिप्पणी भेजें