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रविवार, 6 फ़रवरी 2011

मिथिला के परिचय

मिथिला के परिचय

मिथिला प्राचीन भारत मे एकटा साम्राज्य छल । ई पूर्वी गंगा मैदान मे अवस्थित अछि , जे आब आधा सँ अधिक बिहार और ओकरा सँ जुड़ल नेपालक भाग अछि । रामायण महाकाव्यक अनुसार मिथिला विदेह साम्राज्यक राजधानी छल । एहि शहरक पहचान नेपालक धनुषा जिला मे आजुक जनकपुर सँ कएल गेल अछि । विदेहक देश कखनो-कखनो मिथिला कहल जाईत अछि, जहन कि ई राजधानी छल । ई ठीक ओहिना अछि जेना कि कोशल साम्राज्यक राजधानी अयोध्या छल, जे कोशलक तुलना मे बेसी प्रसिद्ध भेल ।

डी. डी. कोशाम्बीक अनुसार शतपथ ब्राह्मण कहैत अछि कि माधब विदेघ पर पुजारी गोतम राहुगण शासन केलनि, जे पहिल राजा छलाह, जे सदानीरा (संभवत: गंडक ) नदी कें पार कऽ साम्राज्यक स्थापना कयलनि । एतयक लोक शतपथ ब्राहमणक संकलनक समय मे विदेहक नाम सँ जानल जाईत छलाह । गोतम राहुगण एकटा वैदिक ऋषि छलाह जे ऋग्वेदक पहिल मंडलक कतेको श्लोकक रचना कयलनि । ई श्लोक ओ अछि, जहि मे स्व- राज्यक प्रंशसा कयल गेल अछि, जे निर्विवाद रूप सँ विदेघ राज्य छल जे ध्वनि परिवर्तनक कारण बाद मे विदेह भऽ गेल । अत: माधव विदेघ निश्‍चित रूप सँ बहुत पहिने भऽ चुकल छलाह । ऋग्वेदक दशम मंडल मे काशिराज प्रातर्दन द्वारा रचित श्‍लोकक उल्लेख अछि । अत: मिथिला आ काशी ओहि भूभाग मे अवस्थित छल, जाहि मे ऋग्वेद कालक व्यक्ति रहैत छलाह । गोतम राहुगणक परवर्ती ऋषि लोकनि गौतम कहल गेलाह । एहने एकटा सन्यासी रामायण काल मे अहिल्या स्थानक नजदीक रहैत छलाह ।

मिथिलाक गाथा कतओक शताब्दी धरि पसरल अछि । ई कहल गेल अछि जे गौतम बुद्ध आ वर्धमान महावीर दुनू गोटे मिथिला मे रहल छलाह । ई प्रथम सहस्त्राब्दिक दौरान भारतीय इतिहासक केंद्र छल आ विभिन्न साहित्यिक आ धर्मग्रंथ संबंधी काज मे अपन योगदान देलक ।

मैथिली मिथिला मे बाजय जायवला भाषा थिक । भाषाविद मैथिली कें पूर्वी भारतीय भाषा मानलनि अछि आ एहि तरहें ई हिन्दी सँ भिन्न अछि । मैथिली कें पहिने हिन्दी आ बंगला दुनूक उप-भाषा मानल जाइत छल । वस्तुत: मैथिली आब भारतीय भाषा बनि चुकल अछि ।

मिथिलाक सभ सँ महत्वपूर्ण संदर्भ हिन्दू ग्रंथ रामायण मे अछि , जतए एहि भूमिक राजकुमारी सीता कें रामक पत्नी कहल गेल अछि । सीता राजा जनकक सीताक पिता छलाह, जे मिथिला पर जनकपुर सँ शासन केलनि । प्राचीन समय मे मिथिलाक अन्य प्रसिद्ध राजा भानुमठ, सतघुमन्य, सुचि, उर्जनामा, सतध्वज, कृत, अनजान, अरिस्नामी, श्रुतयू, सुपाश्यु, सुटयशु, श्रृनजय, शौरमाबि, एनेना, भीमरथ, सत्यरथ, उपांगु, उपगुप्त, स्वागत, स्नानंद, शुसुरथ, जय-विजय, क्रितु, सनी, विथ हस्या, द्ववाति , बहुलाश्‍व आदि भेलाह ।

’मिथिला, एहि क्षेत्र मे सृजित हिन्दू कलाक एक प्रकारक नाम सेहो थिक । ई विशेष कऽ वियाह सँ पूर्व महिला द्वारा घर के सजेबाक लेल घरक देबार आ सतह पर धार्मिक ज्यामितीय आ

चिहनांकित आकृति सँ शुरु भेल आ एहि क्षेत्र सँ बाहर एकरा नहि जानल जाइत छल । जहन एहि कलाक लेल कागजक शुरुआत भेल तँ महिला लोकनि अपन कलाकृति कें बेचय लगलीह आ कलाक विषय वस्तु कें लोकप्रिय आ स्थानीय देवताक संगहि प्रतिदिनक घटनाक चित्रांकन धरि विस्तृत केलीह । गंगा देवी संभवत: सब सँ प्रसिद्ध मिथिलाक कलाकार छथि । ओ परंपरागत धार्मिक मिथिला चित्रांकन, लोकप्रिय देवताक चित्रांकन, रामायण आ अपन जिनगीक घटना सँ दृश्यक चित्रांकन कयलनि ।

भौगोलिक सीमा आ जलवायु

मिथिला क्षेत्र गंगाक उत्तरी मैदान मे अछि । एहि क्षेत्रक मुख्य स्थान दरभंगा, मधुबनी, झंझारपुर, समस्तीपुर, मधेपुरा, बेगूसराय, सहरसा, सीतमढ़ी, जनकपुर आदि अछि । जनकपुर आब नेपालक क्षेत्र मे अछि । एहि क्षेत्रक जलवायु मुख्यत: शुष्क आ ठंढ़ा अछि । गर्मी मे तापमान ३५ सँ ४५ डिग्री सेल्सियस आ जाड़ मे ५ सँ १५ डिग्री सेल्सियस रहैत अछि । एतय घुमबाक लेख फ़रवरी - मार्च आ अक्तूबर- नवंबर सब सँ नीक अछि ।

एहिठामक माँटि खेतीक लेल उपयुक्त अछि, जे क्षेत्रक मुख्य आर्थिक आधार अछि । कृषिक लेल पर्याप्त वर्षा होइत अछि ।

एहि क्षेत्र मे प्रतिवर्ष बाढ़ि अबैत अछि, जाहि सँ एहिठामक लोकक जिनगी मे कठिन समस्या अबैत अछि आ करोड़ों रुपयाक नोकसान होइत अछि । एहिठामक लोकक लेल किछु व्यक्ति द्वारा विभिन्न नदी पर बाँधक जरुरतिक अनुभव कएल गेल अछि । किछु अन्य कें एहि बातक भय सेहो छनि जे भूकंप- प्रवण क्षेत्र मे वृहत बाँध वार्षिक बाढ़ि सँ बेसी खतरनाक होयत ।

अर्थव्यवस्था

खेती एहि क्षेत्रक मुख्य आर्थिक कार्यकलाप थिक । मुख्य फ़सल धान, गहूम , दालि, मकई, मुँग, उडद, राहड़ि आदि आ जूट (एकर उत्पादन मे कमी आयल अछि) अछि । आई- काल्हि देशक आन भागक तुलना मे खेती नीक नहि रहबाक कारणें, ई सब सँ अधिक पिछड़ल क्षेत्र भऽ गेल अछि । बाढि हर वर्ष फ़सलक पैघ भाग कें नाश कऽ दैत अछि । उद्योगक अनुपस्थिति, कमजोर शैक्षिक अवसंरचना आ राजनीतिक अपराधीकरणक कारणें अधिकांश युवक कें शिक्षा आ आमदनीक लल स्थान परिवर्तन करय पड़ैत छनि । एहि परिवर्तनक उज्जवल पक्ष इ आछे जे ओ लोकनि भारतक प्रमुख क्षेत्र और स्थान मे महत्वपूर्ण भऽ गेलाह अछि ।

मिथिला पेंटिग आब बाजार मे हिस्सेदारी प्राप्त कयलक अछि । आब सरकार सेहो राष्ट्रीय धरोहरक रूप मे एकरा सहायता दऽ रहल अछि ।

व्यक्ति आ जीवन

ई भूभाग संस्कृति आ परंपरा मे धनी अछि । एतयक लोक अपन माता- पिताक आदर करैत छथि आ शांतिपूर्वक जीवन मे विश्‍वास रखैत छथि । ईश्‍वर पर अत्यधिक विश्‍वास करैत ओ सामान्यतया पैघ परिवार मे रहैत छथि । मुख्य सांस्कृतिक समारोह वियाह आ त्योहारक दौरान होइत अछि । फ़गुआ, दियावाती, दुर्गा पूजा, छठि, शिवराति, मधुश्रावणी (मुख्यत: नवविवाहित जोड़ा सँ संबंधित ) आ मोहर्रम धुमधाम सँ मनाओल जाइत अछि ।
एकटा छोट छीन फ़िल्म उद्योग सेहो अछि । मैथिल मे बनल अनेको फ़िल्म मे "सस्ता जिनगी महग सेनूर ", "ममता गाबय गीत" संभवत: अधिक जानल- मानल अछि । एहि भूभाग निवासी मैथिल कहबैत छथि ।

मूड़न मिथिलाक बहुत लोकप्रिय परंपरा अछि । मूड़न मे बच्चाक केश पहिल बेर काटल जाइत अछि । एहि मे भोजभात आ अन्य समारोह सेहो होइत अछि । कखनो- कखनो ई फ़िजूलखर्ची सेहो भऽ जा जाइत अछि । मिथिलाक सब सँ अपूर्व आ महत्वपूर्ण रिवाज एकर "वियाह" परंपरा अछि । एहि मे चतुर्थि सहित चारि दिनक वियाह समारोह, बरिसाइत, मधुश्रावणी, कोजगरा आ अंत मे दुरागमन (कनियाँक घर आयब) शामिल अछि । वियाह ब्राह्मण आ कर्ण- कायस्थक बीच वंश- विषयक सारिणी जे पंजी कहबैत अछि के प्रयोग कऽ कऽ परंपरागत रूप सँ निर्धारित कएल जाइत अछि ।

गोनू झाक खिस्सा पोता-पोती के सुनेबाक लेल दादीक लोकप्रिय खिस्सा अछि । मैथिली सुनबा आ बजबा मे एतेक मीठ आ कोमल अछि जे मैथिलक बीच गर्मागर्म बहसक अनुमान लगायब कठिन अछि ।

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II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

माछक महत्व


हरि हरि ! जनम कि‌ऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पल‌इ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कब‌इ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खा‌एब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



पग पग पोखैर पान मखान , सरस बोल मुस्की मुस्कान, बिद्या बैभव शांति प्रतिक, ललित नगर दरभंगा थिक l

कर भला तो हो भला अंत भले का भला

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