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शनिवार, 17 दिसंबर 2011

बौआ चलली परदेश@प्रभात राय भट्ट

लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS  अप्पन जन्मधरती अप्पन  देश //२  

जाईतछें  दूर परदेश  बौआ सबेरे सबेरे
कुशले कुशल रहिहें बौआ साँझ सबेरे 
समय सं खैहें  पीबीहें  डेरा अबिहें सबेरे
झगरा झंझट नहीं करिहें केकरो सं अनेरे  
लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS  अप्पन जन्मधरती अप्पन  देश //२

मोन सं करिहें बौआ अप्पन कामधाम
दिहे बौआ अपनो देह केर आराम
खूब  कमैहे  ढौआ रुपैया आर दाम
बौआ कमौआ घुईर अबिहे नहीं गाम
 लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS  अप्पन जन्मधरती अप्पन  देश //२

कोना चल्तौ घरद्वार कोना चूल्हा चौका
छोड़ीएह नै नोकरी भेटलछौ बढियां मौका
बेट्टा धन होएतेछैक बौआ रे परदेश कें
सुख नहीं भेटैएछैक बिनु दुःख कलेश कें 
लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS  अप्पन जन्मधरती अप्पन  देश //२

घरक ईआद अबिते बौआ करिहें टेलीफोन
माए बोहीन सं गुप करीकें शांत भsजेतौ मोन 
तोरे कमाई सं हेती जानकिकs कन्यादान
भेजैत रहिहे बौआ   किछु  किछु सरसमान
लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS  अप्पन जन्मधरती अप्पन  देश //२

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

माछक महत्व


हरि हरि ! जनम कि‌ऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पल‌इ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कब‌इ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खा‌एब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



पग पग पोखैर पान मखान , सरस बोल मुस्की मुस्कान, बिद्या बैभव शांति प्रतिक, ललित नगर दरभंगा थिक l

कर भला तो हो भला अंत भले का भला

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