ध्यान सँ साफ दर्पण मे देखू नयन।।
बात बडका केला सँ नञि बडका बनब।
माटि मिथिला के छूटल प्रवासी भेलहुँ।
मातृभाषा विकासक करू नित जतन।।
नौकरीक आस मे नञि बैसल रहू।
राखू नूतन सृजन के हृदय मे लगन।।
खूब कुहरै छी पुत्री विवाहक बेर।
अपन बेटाक बेर मे दहेजक भजन।।
व्यर्थ जिनगी अगर मस्त अपने रही।
करू सम्भव मदद लोक भेटय अपन।।
सत्य-साक्षी बनू नित अपन कर्म के।
आँखि चमकत फुलायत हृदय मे सुमन।।
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