गोनू झाकपिताक आशीर्वाद :-
पिताकेँ ज्योतिषी लोकनिसँ हाथ देखेबाक बड़ सौख
रहनि | दूर दूरसँ
हस्तरेखा देखनिहार आबथि आ हुनका बूडि बना पाइ ऐंठी, विदा
भs जाइत छलाह |एक दिन गोनू झाकेँ किछु पैसाक आवश्यकता छलनि | ओ अपन पितासँ
छलनि | ओ अपन पितासँ पाइ मँगलनि मुदा पिता पाइ देब अस्वीकार कs देलथिन |
तखन गोनू झा हुनक दुर्वलतासँ लाभ उठ्यबाक व्योंत लगओलनि | आ एकटा नाटक
मंडलीमे गेलाह | ओतsसँ गेरुआ वस्त्र, जटा आ एकटा कमण्डल भाड़ा पर लs अनलनि |
पशचात ओ गेरुआ वस्त्र पहिरलनि, माथ पर जटा जगओलनि, देहमे विभूति लेपलनि
तथा हाथमे कमण्डल धारण कs अपन घरक मुहँथरि पर पहुँचि गेलाह | महात्मा बुझि
गोनू झाक पिता हुनका बड़ आदरसँ बैसओलनि आ पुछ्लनि - " महाराज, कतs आगमन
भेलैक अछि? " महात्माजी मुहँ पर आंगुर राखि स्वयंकेँ यौनी बाबा कहलनि आ
इशारासँ बुझओलानी जे हम सिलेट - पाटी पर लिखिकs गप्प करब |गोनू झाक पिता
महात्माजीकेँ नीक - निकुत भोजन करओलनि | तदुपरांत अपन भाग्यक मादे जिज्ञासा
कयलनि |महात्माजी गोनुझाक पिताक - आगू - पाछंक सम्पूर्ण खेढ़ा कहि देलथिन |
ओ ई सुनि गद् - गद् भs गेलाह तथा महात्माजीकेँ दक्षिणास्वरुप बहुत रास धन
एवं एकटा औंठी प्रदान कयलनि | एम्हर महात्माजीक भविष्यवाणी पर सम्पूर्ण
गाममे हल्ला मचि गेल | सभ अपन - अपन भाग्य पुछबाक लेल हुनका लsग आबs लागल
|महात्माजी सभक वखान करैत धन बटोरय लगलाह | किछुए दिनमे बहुत रासधन एकट्ठा
भs गेलनि आ ओ ओतsसँ डेरा तोड़लनि | गामसँ बहरा ओ अपन हुलिया बदललनि आ अपन
वास्तबिक भेषमे आबि गेलाह | महात्माक भेषके नाटक - मंडलीकेँ सुपुर्द कs
किछु दिन भरि एम्हर - ओम्हर मटरगस्ती करैत रहलाह |एक दिन सहसा ओ घर घुरलाह |
पिताकेँ हजारो टका आ एकटा औंठी देलनि |अपन औंठी देखि गोनू झाक पिताकेँ बड़
अचरज भेलनि, ओ पुछलथिन - " अयँ हओ, ई औंठी कतs भेटलह | 'गोनू झा सम्पूर्ण
रहस्य फोलि देलथिन | आब हुनकर पिताकेँ नहि रहल गेलनि, ओ कहलथिन - " गोनू,
तों तs बापोकेँ नै छोड़लह! | " - " बाबू, अपने घरमे पहिने बुद्धिक परीक्षा
लेबाक चाही आ तखन बाहरक लोक पर हाथ साफ़ करबाक चाही | अहाँ हमरा आशीर्वाद
दियs जे हम ऐ विद्या प्रसादे सफल होइत रही | "- " बेटा संतानकेँ सदा पिताक
आशीर्वाद रहैत छैक | तों ऐ पेशामे माहिर बनs तथा तोहर ख्याति दिन दुन्ना -
राति चौगुन्ना पसरैत चलि जाओ |गोनू झा माथ नबाकs पिताक आशीर्वाद ग्रहण
कयलनि |
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