मुकेश - काकी गोर लगैत छी ,
काकी - बोउवा नीके रहू ,
मुकेश - चाची हम आई अपन गाम घर स एलव ह ,
नबकी पुतोहू के बारे में किछ पूछय चाहैत छि ,
काकी - की कहू ----
अबिते देरी घोघ हटेली,
बिनु पुछनही सब सासन चलेली ,
घर दुवारी केर चाभी लेली ,
आ अपना बस में केलि हबेली
सुनैत छलहु छानी नाम चमेली,
देखन्ही बुझलहु छाथी अलबेली ,
( किछ देर बाद ब्यब्सयिक विश्राम -- )
पुनः ---
मुकेश - गोर लगै छी भौजी ...
भौजी - मुकेश यो आउव आउव ,आव बैसू ,
मुकेश - भौजी हम अपन गाम घर स एलव हाँ
आहा सासु के बारे में किछ पूछय चाहैत छिक ?
भौजी - की कहु निम्झानी के --
छै फूलल गाल,
आखी जेना फरचोका लाल ,
ऊजर धप -धप थिठुरल बाल,
लगै जेना छै सोझे काल ,
कहियो क लगबै छैक तेल ,
नहीं समाज में ककरो सन मेल ,
छै बर छोट मुदा बर मोट ,
मोन में हरदम भरने खोट,
तामशे ठार रही छै झोट ,
आचर में किछ बनने नोट,
पानक संग में जर्दा चाही,
बस हमरे टा ले पर्दा चाही ,
(फेर कनिक ब्यब्सयिक विश्राम बाद )
पुनः ---
मुकेश - काकी आब कहू कतेक बदल्लीय कनिया
चाची - छोरु निराशी के की आब बदलत ---
आब हमर की बदलत दुनिया,
बिदाय में अनलक ई हरमुनिया ,
गामक छौरा-छौरी सब आबय ,
घर में ढोलक झाली बजबैया,
घर बनल अछि नाचक मंच ,
की पंचायत करत सब पंच
बौआ सेहो ओकरही भेला,
कनिया गुरु ओ बनला चेला ,
हाँ जी हाँ जी बाजाथी जहिना यंत्र ,
ततबे कनिया दै छनी मन्त्र ,
बौआक बाबुओ ओकरही दिश ,
हमरा लेल बस एक जगदीश ,
(कनिक ब्यब्सयिक विश्राम बाद )
पुनः ---
मुकेश - भौजी आब कहू कतेक बदलल सासु ...
भौजी - --- सब ठीके छैक
हमरा लेल छल सोलहो सोन,
अपन साफ रखैत छि मोन ,
काजक पाछु लागल रहलव,
बेसी किछी ककरहु नही कहलव ,
जीबन छोट अछि काज बहुत,
हम सब छि भगबानक दूत ,
इ संसार हमर आछी घर ,
सब स बेसी मानथी बर
ससुर हमर छथी जतबे निक,
सासु करेला ततबे तित ,
जग सागर में सब के साथ ,
पार लगेता बाबा भैरब नाथ
शुक्रवार, 27 अगस्त 2010
II श्री सरस्वत्यै नमः II
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हमअहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........
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एकता विकास के जननी छै
जय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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