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जालवृत्तक संगी - साथी |

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

गीत:-
देखही रे भाई इ छौरी छै बड व्यूटी रौ
पेन्ह कS मिनी स्कट चलबै छै स्कूटी रौ //२

देह देखार देख कS एकर
चढ़ल हमरा बोखार रौ
कोना उतरतै हमर बोखार
करहि कोनो जोगार रौ
देखही रे भाई इ छौरी छै बड व्यूटी रौ
पेन्ह कS मिनी स्कट चलबै छै स्कूटी रौ //२

छ इन्चक घघरी पर
पेन्है छै तिन इन्चक चोली
चढ़ल जोवन सँ मारै छै
छौरा सभक दिल पर गोली
देखही रे भाई इ छौरी छै बड व्यूटी रौ
पेन्ह कS मिनी स्कट चलबै छै स्कूटी रौ //२

देख कS एकर चालढाल
सगरो मचल छै बबाल रौ
जर जुवानक बाते छोड़
बुढबो एकरा पाछू बेहाल रौ
देखही रे भाई इ छौरी छै बड व्यूटी रौ
पेन्ह कS मिनी स्कट चलबै छै स्कूटी रौ //२

अजब गजब छै रूप रंग
देखही चलै छै कोना उतंग रौ
बेलाईती बिलाई सन केस लगै छै
देसी बिलाई सन आइंख रौ
देखही रे भाई इ छौरी छै बड व्यूटी रौ
पेन्ह कS मिनी स्कट चलबै छै स्कूटी रौ //२

चौक चौराहा हाट बाजार
सभ करै छै एकरे इन्तजार रौ
सुन रे भजना सुन रे फेकना
कर ने हमरो लेल कोनो जोगार रौ
देखही रे भाई इ छौरी छै बड व्यूटी रौ
पेन्ह कS मिनी स्कट चलबै छै स्कूटी रौ //२

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

माछक महत्व


हरि हरि ! जनम कि‌ऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पल‌इ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कब‌इ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खा‌एब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



पग पग पोखैर पान मखान , सरस बोल मुस्की मुस्कान, बिद्या बैभव शांति प्रतिक, ललित नगर दरभंगा थिक l

कर भला तो हो भला अंत भले का भला

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