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गुरुवार, 24 नवंबर 2011


रोटी रोजीक खोजी@प्रभात राय भट्ट

नेपालक मधेस प्रान्तमें महोतरी जिलाक धिरापुर गामक बर्ष ३० के भोला खत्बेक जीवनचक्र पैर आधारित यी आलेख अछि जे सम्पूर्ण मध्यमबर्गीय आओर निम्मन बर्गीय समुदाय के जीवन जुडल यथार्थ जीवनी  !
                        भोला एकटा निम्नबर्गीय परिवार में जन्म लेलक हुनक माए बाबु बड मुस्किल से मेहनत मजदूरी करी  भोला के पालनपोषण केलक, भोलाक माए बाबु गरीब होवाक कारन भोला प्रारम्भिको  शिक्षा  बन्चित रहल जेनतेन समय बितैत गेल  समयानुसार भोला पैघ सेहो भगेलाह ! समय के संग संग हुनक दाम्पत्य जीवन सुभारम्भ सेहो भगेलई,भरल जुवानी के अबस्था में दाम्पत्य जीवनक रस्वादन एवं आन्नदमें  पूर्णरुपेन डुबिगेलाह अपन आर्थिक स्थितिके नजैर अंदाज करैत गेलाह मुदा विना अर्थ जीवनक गाडीं कतेक दिन चैल सकैय ! कनिया के सौख श्रींगारक सामग्रिः भोजन भातक ब्यबस्था बृध माए बाबु के दबाई दारू सभक आभाव चारू   खटक लग्लई,तकर बाद भोला के अपन जिमेवारिक  बोध भेलैन ! हुनका किछ नै सुझाई  जे की करू  नै करू राईत दिन बेचारा भोला घरक लचरल ब्यबस्था देखि बड चिंतित रहलागल !एक दिन अपन मिता सुरेश कापर के अपन सभटा दु: सुनैलक  ! सुरेश बड नीक सलाह देलकै देखू मिता अई नेपाल देश में स्वरोजगारी के कोनो ब्यबस्था नै छई पढलो लिखल मनुख के नोकरी नै भेटैछैक तहन  हम अहां कोण जोक्रक छि ! हम एकैटा सलाह देब सउदी अरब चैल जाऊ ओईठाम बड़ पैसा भेटैछैक अहंक सभटा दू:ख दूर भ्ज्यात,सुरेशक गप सुनिक भोलाके माथमें चकर देबलगलै !!मुदा किछ देरक बाद भोला सहमती जनौलक आ सुरेश सं बिदा लैत घर तरफ प्रस्थान केलक!
               सुरेश घर पहुचैत कनियाँ कतय गेली ये हमरा बड़ जोर सं भूख लागल अछि किछु खयाला दिया नए,कनियाँक कोनो जवाब नै अयीलाउपरांत ओ भानस घरमे गेल कनियाँ के देखलक माथ हाथ धयने आ सिशैक सिशैक क कानैत,अहां किये कनैछी ये अतराढंवाली ?की भेल किछ बाजब तब नए हम बुझबई ! कनिया कहलकै....हम की बाजु आ बाजल बिनु रहलो नै जैइय,अहां जे कोनो काम धंधा नै करबै तहन ई चुल्हाचौका कोना चलति एक पाऊ चाबल छल जेकर मद्सटका भात बनाक माए-बाबु आ बच्चा सभमे परसादी जिका बाईंट देलौ आ हम त उपबासो कलेब मुदा अहांके त भूख बर्दास्त नै होइया ताहि सं हमर छाती फटी रहल अछि मुदा अहांके त कोनो चिंताफिकिर रह्बेने करेय !तपेश्वर मालिक सेहो बड़ खिसियक द्वार पर सं गेल कहैछल जे ५०० टका के हमर सूद ब्याज सहित २५००० भगेल मुदा यी भोलबा अखन धरी देब के नाम नै लैय,
     हे यए अतराढंवाली अहां आब जुनी चिंता  करू हमरा पैर भरोषा रखु सभ ठीक भजेतई ई किछ दिनक दू:ख थीक एकटा कहाबत छै जे भगवानक घरमे देर छै मुदा अंधेर नै,अतारधवाली के मोन अति प्रसन्न भेलै आ झट सं पुईछ बैठिय आईंयो रामपुकारक पापा आई की बात अछि जे अहां एतेक पुरुषार्थ वाला गप करैत छि ?की बजली यए अतराढंवाली एकर मतलब अहुं हमरा निक्मे बुझैत छि? त कान खोईलक सुनिलिय हम आब सउदी अरबिया जारहल छि  आ ढेर पैसा कमाक अहां लेल भेजब !अतराढंवाली ई बात सुईनते घबरागेल आ कहलागल की बज्लौं ?कने फेर सं बाजु त अहांके जे मोन में अबैय सहे बाईजदैत छि,एहन बात आब बजैत नै होईब से कहिदैछी हम................मोन त भोला के सेहो उदास भजैय मुदा हिमत करिकें कनियाँ के समझाबक कोशिश करेय देखियो कनिया हम जनैत छि जे हम कोनो काम धंधा नै करैत छि तयियो अहां हमरा सं खूब प्रेम करैत छि,आ हमहू अहां बिनु एकौ घडी नहीं रही सकैत छि यी सभटा जनैत बुझैत हम मज़बूरी बस एहन निर्णय लेलहुं आ अईके अलाबा दुसर कोनो रस्तो नहीं अछि ! आखिर यी जीवन त प्रेम आ स्नेह सं मात्र नै चलत नए जीवनमे दुःख सुख भूख रोग सोक पीड़ा ब्यथा वेदना संवेदना प्रेम स्नेह विबाह बिदाई जीवन मृत्यु समाज सेवा घर परिवार ईस्ट मित्र कर कुटुंब नाता गोता मान सम्मान प्रतिष्ठा घर माकन खेत खलिहान बगीचा मचान सत्कार तिरिस्कार मिलन बिछोड यी सभटा जिनगीक अभिन्न अंग अछि,आ यी सभटाके जैर एकैटा थीक जेकर नाम ऐच्छ पैसा............तै हमरा परदेश जाहिटा परते अहां कनिको मोन मलाल नै करू सबहक प्रियतम पाहून परदेश खटेछैक ! हेयौ रामपुकारक पापा यी बात सुनिके हमर छाती फटेय..तहन अहां बिनु हम कोना रहीसकैछी? नए नए हमरा नहीं चाही पैसा कौड़ी महल मकान हम नुने रोटी खेबई सेहो नहीं भेटत त साग पात ख्याक जिनगी काटीलेब कहैत भोलाके भैर पांज पकरिक सिशैक सिशैक नोर बहबैत कानैलागैय....मुदा भोला कुलदेवता के सलामी राखैत माए-बाबु सं आशीर्वाद लैत घर सं प्रस्थान भगेल.....................! अगिला पाठ क्रमश:.............
लेखक:-प्रभात राय भट्ट
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रोजी रोटिक खोजी भाग :-२@प्रभात राय भट्ट
२.भोला साउदी अरबके एकटा कंस्ट्रक्सन कम्पनी में राईतके ११बजे पहुंचल आ भिन्सरमे ७बजे आफिस में हाजिर भोगेल कम्पनी के मैनेजर साहब भोला सं कबूलनामा कागज पैर साईन करबौलक आ भोलाके उक्त कबूलनामा के विवरण सुनौलक :- १.मासिक वेतन ५०० रियाल ड्यूटी ८ घण्टा २.करार अवधि ३ वर्ष ! भोला इ बात सुनिक हतप्रभ भोगेल जेना मानु भोलाके माथ पैर बज्रपात गिरगेल फेर भोला अपने आपके सम्हारैत मैनेजर साहब सं कहलक नेपाल के मेनपावरक कबूलनामा अनुसार हमर पगार ६०० रियाल + खाना +२०० ओभर टाइम आ दू वर्षमे ३ मासक छुटी के सर्त भेल छल मुदा मैनेजर भोलाके एकोटा बात नै सुनलक तहन भोला कहलक हम सुखा ५०० में काम नै करब २०० खानामे खर्च भोज्यात बचत ३०० रियाल ३०० रियाल्के नेपाली टाका ६०० हजार मात्र होइतअछ तेहेतु हमरा वापस भेज दिय ! मैनेजर भोलाके सामने साम दंड भेद क सूत्र अनुसरण करईत कडा रूप सं प्रस्तुत भेल बेचारा भोला मैनेजर के चंडाल रूप आ कडा चेताबनीके सामने निरीह बईनगेल आ काम करबलेल तयार भोगेल !
             भोला अपन भाग्य के साथ समझौता करैत क्म्पनिके काजमे ईमानदारी पुर्बक सरिक भोगेल मुदा महिना लागैत पगार हातमें आबिते भोला हिसाब किताब में लाईग जाईतछल खाना नास्ता के खर्च निकालैत बाद मुस्किल सं ३०० रियाल बचैक आब भोला घरके बारेमे सोचैलागल ३०० रियाल के सिर्फ ६००० हजार नेपाली होइतअछ जाही सं घर परिवार चलत की रु.१००००० कर्जा सधत जेकर सिर्फ ब्याज ३०० हजार चैलरहलअछ याह बात सोचैत सोचैत प्रात:भोगेल फेर वेचारा भोला अपन दैनिक काम काज में तठास्त रूप सं लाइग जाय याह: क्रम लगभग ५/६ महिना चलैतगेल तेकरबाद भोला किछ टाका घर भेजलक जाही सं हुनक घर खर्च चैलरह्ल छल ! १ साल बितला बाद भोलाके घर सं चिठ्ठी आएल भोला उक्त चिठ्ठी पैढ़क मर्माहित भोगेल चिठ्ठीमें लिखल रहैक रामपुकार के बाबु घरक स्थिति बड़ नाजुक अबस्था सं गुजरी रहलअछ आ अहां जे कर्जा लक गेल छि ओकर ब्याज ३६०० हजार भोगेल महाजन आएल छल कहिक गेल जे आब मूल धन रु१३६००० भोगेल ऐ बात पैर ध्यान दिय भोला चिठ्ठी पढैत फेर घर क चिंता में डुबिगेल कर्जा कोना सधत ? भोलाके उदास देख हुनक संघतिया पुईछ बैठल आईयो मिता अहां ऐना सदिखन एतेक उदास किये रहैत छि यौ ? भोलाक ध्यान भंग भेल आ संघ्तियाके अपन सभटा दू:ख 
सुनौलक  ! संघतिया हाथ में खैनी मलैत कहलक रुकू कने ई खैनी खाय दिय तहन हम कुनु उपाय बताबैछी खैनी ठोर में धरैत झट सं एकटा गप भोलाके सुनौलक देखू हम जे कहैत छि से ध्यान सं सुनु चुप चाप हम आर अहां दुनु गोटे इ कम्पनी छोईडक भाईग चलु कतौ दोसरठाम जतय निक कमाई होइत होइक ! मुदा भोलाके संघतियक गप कनियो निक नै लागल  भोला कहलक देखू इ दोसर के देस में भाईग क कतय जाईब कहीं देहि नही भोगेल तहन के मदत करत आ दोसर इ देस के कानून बड़ कडा छैक पकड़ा गेला पैर जेलमे चकी चलबा पडत तहन धोबी के कुता नै घर नै घाट के होइतअछ से बुईझलिय  हम तह नै ज्याब अहां ज्याब तेह जाऊ !
              भोला फेर अपन काम काजमे जुइटगेल आ भोलाक संघतिया मासिक १५०० सय पगारमे दोसर ठाम काम करैलागल देखते देखैत दुई साल बितगेल ! भोलाके घर सं फेर एकटा चिठ्ठी आएल भोला चिठ्ठी पढ़लक चिठ्ठी पैढ़क खुसी होमय बजाय पुनह उदास भोगेल आ गंभीर सोचमे डुबिगेल भोलाके सब से बड़का परेशानी रहैक कर्जा जे साउदी आब बेरमे लेने रहैक भोला सोचलक जे एतबा न्यूनतम पगारमे कर्जा कोना सधत अंतत:भोला कम्पनी छोईड भागके निर्णय ललेलक ! भोला कम्पनी सं भाईग संघतिया के कम्पनिमे चईल्गेल आ मासिक १५०० सय पर काज करैलागल भोला ५ महिनामे रु १००००० टाका घर सेहो भेज देलक आ कनिया सं फ़ोन मार्फ़त गप केलक कनिया सं कहलक इ एक लाख टाका महाजन के खता में जमा कदिय आ हुनका कहिदीय जे ५  महिनके बाद हम हुनकर सभटा पाय चुकता कदेबैय ! आब भोला किछ प्रसन्न मुद्रामे रहैलागल आ अति प्रसन्ता के साथ सोचैलागल लोक ठीक कहैतछई जे
भगवान के घर देर छै मुदा अंधेर नै आब हमरो विपतिक घडी टैर रहलअछ मुदा वेचारा भोलाके की पता जे भाग्य रेखा कियो नै देखने छैक कखन की हेतई से मनुख क कल्पना सं बहुत दूर के चीज छैक समयचक्र कखन कुन रूप लेत इ एकैटा परमात्मा जनैत छथी! बड़ मुस्किल सं भोलाके ठोर पैर मुस्कान आएलछल मुदा दैबके इ रास नै येलैय भोला के जीवन में तेज गति सं एकटा बड़ भारी बज्रपातके आगमन भेलै भोला अपन ड्यूटी ख़त्म क्याक डेरा तरफ जाईके क्रम में रोड पार करैत समयमे भोलाके देह पैर तेज गति में कालरुपी एकटा गाड़ी चैढ्गेल भोला जीवन आ मृत्यु के बिच एक घण्टा लादैत रहल अंत:भोला अपन  चेतना गुमाबैठल ताहि समयमें उद्धार टोली आबिक भोलाके अस्पतालमें भरना कोदेलक ! इ दुखद घटनाके २० दिन बाद भोलाके घरमे खबैर गेल जे भोला आब इ दुनियामे नहीं रहिगेल रोड एक्सीडेंट में हुनक मृत्यु भोगेल इ बात सुनैत बेचारी भोलाके कनिया मूर्छित पैरगेल आ गाम घरक महिला सब भोला कनियाके चूड़ी फोईर मांगक सिंदूर धोबीक विधवा बनाबक काजमे एकमत भोगेल  तखने समाजसेवी एकटा महिला इ बातक घोर विरोध केलन आ सब महिलाके सम्झौलन जाधैर कुनु ठोस पुष्टि नए भेटैय ताधैर रूईक जाऊ कहीं इ समाचार गलत होइक आ भोला जिन्दा होइक ! गायत्री देवी जी के सुपुत्र प्रभात राय सेहो साउदी अरब में रहैथ ओ फोन सं सभटा बात सुनैलैथ आ प्रभात राय अस्वासन देलैथ जे अहां सभ हमर फ़ोन के प्रतीक्षा में रहू हम अखने वास्तविकता कीअछ
प्रभात भोलाके घटना प्रति जानकारी हासिल करैमे लागिगेल ! अस्पताल,पुलिस,एम्बुलेंस,ट्राफ्फिक सभठाम पता लागौल्क बाद प्रभातक मेहनत रंग लौलक 
भोलाके जिबिते अबस्था में रियाद स्थित एकटा अस्पतालके कोमा में भरना भेल देखलक प्रभात तुरत गाम में फोन स आँखी देखल पुख्ता जानकारी देलन्हि इ बात सुनैत धिरापुर गाम में हर्सौलास के माहौल बनल आ गामक सबलोक प्रभात के धन्यबाद दैत एकटा विनम्र अनुरोध केलैथ जतय खर्चा लागते हम सभ चंदा उठाक देब मुदा भोलाके जान बचादियौ ! प्रभात अस्वासन देलैथ अहां सभ जुनी चिंता करी हमरा सं जतय बैन पडत हम जरुर करब आब भोला के उद्धार कार्य में प्रभात दिन राईत एक क देलक तिन मासक बाद भोला अर्धचेतन अब्स्थामे आएल फेर एक महिना उपचार के बब्जुदो किछ आंशिक सुधार मात्र भेल एम्हर अस्प्तालक खर्च सेहो जीवन विमाके हद पार कगेल प्रभातके प्रयासमें भोलाके बैधानिक कम्पनी आ जीवन विमा अस्पताल क खर्च चुकता केलाक बाद डिस्चार्ज भेल आ नेपाल पठाउलगेल ! भोलाके जिबिते अबस्थामे गाम आबक खबैर सुनिक भोलाके परिवार लगायत समूचा गामक लोक एकबेर पुनह खुश भेल २ दिनक बाद भोला अपन मातृभूमि में पहुंचल आ सबहक प्रतीक्षा के घडी ख़त्म भेल ! भोलाके जीवित देखैला समूचा गामक लोक आबिगेल मुदा भोला इ सभ बात सं बहुत दूर जाचुकल रहैक ओ ऐ काबिल नै रहैक जे किनको सं मिलन के खुसी बाईट सकय भोला के अपांग आ अर्धचेतन अबस्था देख सबके मुह सं आह 
निकैल्गेलई ! भोलाके कनिया अपन सोहागरूपी पति परमेश्वर के अपांगो अबस्थामें भेटगेलैय ते खुसी जरुर भेलै मुदा किछ दिन बाद अतराढवाली के लेल ओकर सोहाग एकटा दीर्घकालीन बोझ बैनगेलैय ओई बोझक भार उठेनाई बड़ मुस्किल भरहल छै किये तेह आजीवन अपांग आ अर्धपागल रही गेलाह !!
लेखक:-प्रभात राय भट्ट

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II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

माछक महत्व


हरि हरि ! जनम कि‌ऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पल‌इ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कब‌इ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खा‌एब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



पग पग पोखैर पान मखान , सरस बोल मुस्की मुस्कान, बिद्या बैभव शांति प्रतिक, ललित नगर दरभंगा थिक l

कर भला तो हो भला अंत भले का भला

समस्त मिथिलांचल वासी स निवेदन अछि जे , कुनू भी छेत्र मै विकाश के जे मुख्य पहलू छै तकर बारे मै बिस्तार स लिखैत" और ओकर निदान सेहो , कोनो नव जानकारी या सुझाब कोनो भी तरहक गम्भीर समस्या रचना ,कविता गीत-नाद हमरा मेल करू हमअहांक सुझाब नामक न्यू पेज मै नामक और फोटो के संग प्रकाशित करब ज्ञान बाटला स बढैत छै और ककरो नया दिशा मिल जायत छै , कहाबत छै दस के लाठी एक के बोझ , तै ककरो बोझ नै बनै देवे .जहा तक पार लागे एक दोसर के मदत करी ,चाहे जाही छेत्र मै हो ........

अहांक स्वागत अछि.अहां सभ अपन विचार... सुझाव... कमेंट(मैथिली या हिन्दी मै ) सं हमरा अवगत कराउ.त देर नहि करु मन मे जे अछि ओकरा लिखि कs हमरा darbhangawala@gmail.com,lalan3011@gmail.com पर भेज दिअ-एहि मेल सं अहां अपन विचार... सुझाव... कमेंट सं हमरा अवगत कराउ. सम्पर्क मे बनल रहुं. ..........

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