लग आबू नए सजनी प्राण प्रिया अहांक सूरत देखैला फाटेय हिया
केस लागैय कारी बादलक घटा सन
देह लागैय बिजुली केर छटा सन
हौले हौले उठाऊ नए सजनी घुंघटा //
मुह देखीमें देब रेशम कय दुपटा //२
लग आबू नए सजनी प्राण प्रिया
अहांक सूरत देखैला तडपैया जिया
आजुक राईत गोरी अछि खास यए
मोनमे लागलअछ मिलनक प्यास यए
हमरा गलामे गोरी गलहार द दिय //
अई बदलामे हिरा केर हार ल लिय//२
लग आबू नए सजनी प्राण प्रिया
अहांक सूरत देखैला तरसैय अंखिया
लाज सरम गोरी किया करैतछी
हम तें सजनी अहिं पैर मरैतछी
लग आबू नए सजनी प्राण प्रिया//
आन बुझु नए हम छी आहंक पिया//२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
माछक महत्व
हरि हरि ! जनम किऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पलइ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कबइ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खाएब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म किऎ लेल !
हरि हरि.
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
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एकता विकास के जननी छैजय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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