सीता के बिना राम आधा आधा आधा ........
कह गए राम भगवान" जन्म जन्म के दुःख बिसरादे है रामायण का ज्ञान
बोलो सीता... सीता राम .................
जय-जय सियाराम ।।
सब गोटे स आग्रह धूम धाम स 27अप्रैल के जानकी नवमी जे गोटे जहि छि ततै मनाबी ।
भारतीय गणराज्य क़े बिहार प्रान्त क़े उत्तरी सीमा पर बसा सीतामढ़ी जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम मे पुनौरा नामक स्थान है जहाँ पर जगत जननी सीता का जन्म हुआ था " यह मिथिला छेत्र में परता है । वैशाख शुक्ल की नवमी को माता धरती की कोख से जानकीजी ( सीताजी ) अवतरित हुई थीं ।
पुष्यान्वितायां तु कुजे नवम्यां श्रीमाधवे मासि सिते हलाग्रतः।
भुवोऽर्चयित्वा जनकेन कर्षणे सीताविरासीद् व्रतमत्र कुर्यात॥
भुवोऽर्चयित्वा जनकेन कर्षणे सीताविरासीद् व्रतमत्र कुर्यात॥
इस दिन जानकीजी के नाम का व्रत रखना चाहिए ।
विधि-विधान से जानकीजी का पूजन करना चाहिए ।
माता जानकी का जन्मोत्सव मनाना चाहिए ।
श्रीराम की स्तुति करना चाहिए ।
जैसे जल बिना मछली वैसे ही सीता क़े बिना राम अधूरा है ।
इस साल 27अप्रैल को जानकी नवमी है ।
समस्त देसवासियो से आग्रह है जहाँ भी वो बस्ते हो जाहे मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता या असाम हो " २७ अप्रैल को जानकी नवमी जरूर मनाबे ।
सीता के जन्म से एक बात सामने आता है जो मिथिला के जमीन मे खुद लक्ष्मीजी का निबास है ।
अर्थात मिथिला कि उन्नति वहां क़े जमीन मे छुपा हुआ है ।
जय-जय सियाराम ।।
विधि-विधान से जानकीजी का पूजन करना चाहिए ।
माता जानकी का जन्मोत्सव मनाना चाहिए ।
श्रीराम की स्तुति करना चाहिए ।
जैसे जल बिना मछली वैसे ही सीता क़े बिना राम अधूरा है ।
इस साल 27अप्रैल को जानकी नवमी है ।
समस्त देसवासियो से आग्रह है जहाँ भी वो बस्ते हो जाहे मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता या असाम हो " २७ अप्रैल को जानकी नवमी जरूर मनाबे ।
सीता के जन्म से एक बात सामने आता है जो मिथिला के जमीन मे खुद लक्ष्मीजी का निबास है ।
अर्थात मिथिला कि उन्नति वहां क़े जमीन मे छुपा हुआ है ।
जय-जय सियाराम ।।
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